कोरबा।स्थानीय कोसाबाड़ी क्षेत्र में स्थित निजी न्यू कोरबा हॉस्पिटल (एनकेएच) में मंगलवार की देर शाम खासा हंगामा हुआ।दरअसल अस्पताल में 21 अक्टूबर को एक दुर्घटना में घायल कटघोरा निवासी युवक को भर्ती कराया गया था और उसके परिजनों ने अस्पताल में बकाया बिल का भुगतान किए बिना ही उसे जबरन अपने साथ ले जाने का प्रयास किया।इस बीच मरीज के परिजन और परिचित आक्रोशित हो गए।उनका आरोप था वे मरीज को हायर सेंटर ले जाना चाह रहे थे वो भी तब जब डॉक्टरों ने कहा कि आगे आप इलाज का देख लीजिए और जो बिल बना है उसे जमा कर दीजिए।इसके बाद मरीज के परिजन आग बबूला हो गए।हॉस्पिटल स्टाफ के साथ धक्कामुक्की,झड़प की।यह सब देख हॉस्पिटल में उपस्थित लोग भी भयभीत हो गए।वहां मौजूद कुछ महिलाएं तो डर कर बचने कुर्सी पर चढ़ गई।कुछ देर के लिए वहां भगदड़ सी हो गई।ये सारा वाक्या सीसीटीवी और हॉस्पिटल स्टाफ के मोबाइल में भी रिकॉर्ड हो गया।आखिर में मरीज को हॉस्पिटल से उसके परिजन ले कर रवाना हो गए।
डिस्चार्ज से पहले कहा बिल भुगतान करो,डॉक्टरों ने ही कहा था आगे आप देख लीजिए: मरीज का भाई
मरीज के भाई कटघोरा निवासी त्रिवेंद्रसिंह राज ने कहा कि 21 अक्टूबर को एक दुर्घटना में उनका भाई घायल हो गया।उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया।डॉक्टरों ने उसकी स्थिति गंभीर बताई।उसको वेंटीलेटर पर भी रखा।कहा 5 लाख का बिल हुआ है,जमा करा दीजिए।इन्फेक्शन भी है अभी ट्रीटमेंट करना पड़ेगा बाकी आप लोग देख लीजिए।तब हम मरीज को रामकृष्ण हॉस्पिटल रायपुर ले जाने डिस्चार्ज करने कहा।हम से बिल का पेमेंट 5 लाख करने का डॉक्टर और स्टाफ बोलते रहे।
ढाई लाख का बिल बकाया था,जिससे बचने के लिए हुई तोड़फोड़: हॉस्पिटल प्रबंधन
इधर हॉस्पिटल प्रबंधन के अनुसार, मरीज के इलाज का लगभग ढाई लाख रुपये का बिल बकाया था, जिसे चुकाने से मरीज के परिजन बचना चाह रहे थे। इस मुद्दे को लेकर हंगामा बढ़ा और इस दौरान परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ की, जिससे वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। अस्पताल प्रबंधन की और से इस घटना को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
गंभीर स्थिति में लाए थे मरीज को,इलाज से स्थिति हुई बेहतर: डॉ चंदानी
एनकेएच के डायरेक्टर डॉ. एस. चंदानी ने बताया कि मरीज को 21 अक्टूबर को कटघोरा में एक सड़क हादसे के बाद गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दुर्घटना के बाद से ही मरीज की हालत नाजुक थी, क्योंकि उसे बार-बार उल्टियां हो रही थीं, जिसके कारण फेफड़ों में पानी (एस्पिरेशन) चला गया था। ऐसी स्थिति में यदि उसे तुरंत इलाज न मिलता, तो जान जाने का खतरा था। एनकेएच में भर्ती होने के बाद मरीज की स्थिति में काफी सुधार हुआ था, और उसका स्वास्थ्य पहले से बेहतर हो चुका था।
परिजन चाह रहे थे रेफर करना,बकाया राशि की मांग पर हुए उग्र
डॉ. चंदानी के अनुसार, मरीज के परिजन अब उसे दूसरे अस्पताल में रेफर करने की मांग कर रहे थे, और अस्पताल प्रबंधन उनकी इस मांग को मानने के लिए तैयार था। लेकिन जब उन्हें बताया गया कि रेफर करने की प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा और पहले बकाया राशि का भुगतान करना जरूरी है, तो वे उग्र हो गए। अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन इसके बावजूद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया और आवश्यक कागजी कार्रवाई के दौरान तोड़फोड़ की। इसके बाद वे मरीज और उसकी इलाज संबंधी फाइलें लेकर चले गए।
प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि मरीज को हरसंभव चिकित्सा सुविधा प्रदान की गई थी और उसके इलाज में कोई कमी नहीं छोड़ी गई थी। डॉ. चंदानी ने कहा, “हम हर मरीज को बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मरीज की जान बचाने के लिए हमने तत्काल इलाज किया, जिससे उसकी हालत में अब तक सुधार हो चुका है। लेकिन इस प्रकार की घटनाएं हमारे काम में बाधा डालती हैं और हमारे कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करती हैं।”