TTN ब्रेकिंग _ सीबीआई रेड:इंटक नेता और व्यवसाई के यहां जांच, एसईसीएल मुआवजा में गड़बड़ी से जुड़ा है मामला

फोटो:श्यामू जायसवाल के घर के बाहर तैनात सुरक्षा कर्मी,श्यामू जायसवाल की फाइल फोटो

0 एसईसीएल और राजस्व विभाग के भी अधिकारी कर्मचारी है रडार पर

मनोज शर्मा
कोरबा। एसईसीएल की दीपका क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण में हुई गड़बड़ी की शिकायत पर सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है।सोमवार की सुबह सीबीआई की टीम ने बहुचर्चित श्यामू जायसवाल और राजेश जायसवाल के घर और दफ्तर पर छापा मारा।घर के सदस्यों को अंदर ही रोक लिया गया है और उनके मोबाइल फोन भी ले लिए गए है।

उक्त दोनों से संबंधित ऐसे अनेक प्लॉट कोयला खदान विस्तार के लिए खास कर जो मलगांव इलाके में है को अधिग्रहीत किया गया है,की जांच मुख्य रूप से की जा रही है।सूत्रों के मुताबिक इस जांच के दायरे में जमीन अधिग्रहण से जुड़े एस ई सी एल के अमले विशेष रूप से रेवेन्यू डिपार्टमेंट और राज्य शासन के कटघोरा तहसील के राजस्व विभाग के भी अधिकारी,कर्मचारी भी है।इनमें कटघोरा एस डी एम ऑफिस के एक चर्चित बाबू जो कि हाइवे जमीन अधिग्रहण में भी बेहद चर्चा में रहा पर नजर है।

O जांच के केंद्र में मलगांव का भू अधिग्रहण

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के दीपका क्षेत्र में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आज तड़के मुआवजा वितरण में गड़बड़ी की शिकायतों पर बड़ी कार्रवाई की। सीबीआई की टीम ने सुबह 6 बजे दीपका निवासी राजेश जायसवाल पिता उदय नारायण जायसवाल और हरदीबाजार निवासी श्यामू जायसवाल पिता परमात्मा जायसवाल के घर छापेमारी की। दोनों स्थानों पर कड़ी सुरक्षा के बीच दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है।
आरोप हैं कि प्रभावित परिवारों को सही मुआवजा नहीं मिला, जबकि कुछ अपात्र लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। इससे पहले भी मुआवजा वितरण में गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई थीं। जानकारी के मुताबिक श्यामू जायसवाल अपने इलाज के लिए बाहर होने के कारण टीम को नहीं मिला।वहीं बताया गया है कि टीम ने दस्तावेज जब्त किए हैं, जिनकी जांच जारी है। फिलहाल सीबीआई अधिकारियों ने कोई जानकारी नहीं दी है।

O जमीन अधिग्रहण के अलावा भी है चर्चा में

इस कार्रवाई ने दीपका और हरदीबाजार क्षेत्रों में खलबली मचा दी है।श्यामू जायसवाल कहने को तो इंटक का जिलाध्यक्ष है किंतु उसका नाम कोयला,डीजल के अवैध कारोबार में ज्यादा चर्चा में रहा है।जमीन अधिग्रहण के मामले में यह लंबे समय से जुटा रहा है,जिसमें एस डी एम बाबू की भी मिलीभगत रही है।यदि इस मामले की सही ढंग से जांच हो गई तो यह ऐसा बड़ा मामला निकलेगा जिसमें एस ई सी एल के मुआवजा वितरण में करोड़ों की गड़बड़ी उजागर होगी।