बड़ी खबर : संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द नहीं हटेंगे,सुप्रीम कोर्ट ने कहा_ “संशोधन का अधिकार संसद के पास”

TTN Desk

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (25 नवंबर 2024) को उन याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमें “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्द हटाने की मांग की गई थी. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया.

O याचिकाओं में इमरजेंसी में किए गए संशोधन को दी गई थी चुनौती

याचिकाओं में इमरजेंसी के दौरान पेश किए गए प्रस्तावना संशोधन को चुनौती दी गई थी. पीठ ने कहा कि प्रस्तावना में 1949 में संविधान को अपनाने की तारीख से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को शामिल करने के लिए 1976 में पूर्वव्यापी संशोधन किया गया था. 1976 में 42वें संविधान संशोधन के तहत प्रस्तावना में “धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवादी” शब्द शामिल किए गए.

CJI ने ये कहा…

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि संविधान में संशोधन करने की शक्ति संसद के पास है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान में संशोधन करने की यह शक्ति प्रस्तावना तक भी फैली हुई है.

कोर्ट ने संसद के पूर्वव्यापी संशोधन के खिलाफ दलीलों को भी खारिज कर दिया और कहा कि संसद के संशोधन करने की शक्ति पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. मुख्य न्यायाधीश खन्ना के आदेश में यह भी साफ किया गया कि इकनॉमिक पॉलिसी चुनने में संसद की शक्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं है.

पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति खन्ना ने पूछा था कि क्या याचिकाकर्ता नहीं चाहते कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश बने. न्यायमूर्ति खन्ना ने यह भी कहा कि “समाजवादी” शब्द 90 के दशक के बाद भारत के आर्थिक उदारीकरण के रास्ते में नहीं आया है. उन्होंने कहा कि “समाजवादी” शब्द भारत की कल्याणकारी राज्य की स्थिति को दर्शाता है.