केजरीवाल को जमानत:बीजेपी के मुंह पर तमाचा कहा सिसोदिया ने ,बीजेपी बोली जेल वाला सीएम अब बेल वाला सीएम है

0अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच का फैसला

TTN Desk

तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. शराब घोटाले के आरोपों को लेकर पहले ईडी और बाद में सीबीआई ने आम आदमी पार्टी के नेता केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. ईडी मामले में जमानत मिल चुकी थी. आज सीबीआई केस में भी जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयन की पीठ ने हफ्ते भर पहले सुरक्षित रख लिए गए फैसले सुना दिया. जिसके बाद केजरीवाल के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया. इसके बाद आप एयर बीजेपी एक दूसरे पर हमलावर है।आप के मनीष सिसोदिया ने कहा कि ये से की जीत है एयर बीजेपी के मुंह पर कोर्ट ने तमाचा मारा है वही बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि जेल वाले सीएम अब बेल वाले सीएम हो गए है।जमानत मिलना निर्दोष होना नहीं होता।

केजरीवाल को सशर्त जमानत दी गई है।उन्हें जिन शर्तों का पालन करना होगा उनमें ये प्रमुख है:

– अरविंद केजरीवाल न तो मुख्यमंत्री कार्यालय और न ही सचिवालय जा सकेंगे.
– किसी भी सरकारी फाइल पर तब तक दस्तखत नहीं करेंगे जब तक ऐसा करना जरूरी न हो.
– अपने ट्रायल को लेकर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं करेंगे.
– किसी भी गवाह से किसी तरह की बातचीत नहीं करेंगे.
– इस केस से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक पहुंच नहीं होगी
– जरूरत पड़ने पर ट्रायल कोर्ट में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे.

अदालत इससे पहले शराब नीति में कथित गड़बड़ी को लेकर मनीष सिसोदिया, संजय सिंह जैसे आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेताओं को जमानत दे चुकी है. सिसोदिया ही की तरह आज भी अदालत ने जमानत देते हुए यही कहा कि चूंकि निकट भविष्य में मामले का ट्रायल पूरा होता हुआ नहीं दिखता, केजरीवाल को जमानत दी जाती है. देश की सर्वोच्च अदालत ने यह भी साफ किया कि केजरीवाल जमानत के लिए जरुरी तीन पैमाने पर खरा उतरते हैं.

हालांकि, अदालत ने फैसले में यह भी नत्थी कर दिया कि क्योंकि इस मामले को लेकर लोगों में एक खास तरह का नैरेटिव है, केजरीवाल को इस केस से संबंधित कोई बात सार्वजनिक तौर पर करने की मनाही होगी. साथ ही, जब तक कि वे आरोपों से पूरी तरह बरी नहीं हो जाते. निचली अदालत में चल रही सभी सुनवाई में मौजूद रहेंगे.

आज फैसले के दौरान जजों की राय किस सवाल पर बंटी हुई थी और कहां वे एकमत दिखे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने किस तरह सीबीआई की जमकर क्लास लगाई इसे इस तरह समझिए…

केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएँ दायर की थीं. एक याचिका में सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी. जबकि दूसरी याचिका जमानत की मांग करने वाली थी.

जमानत पर दोनों जज सहमत

जमानत पर हामी भरते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक विकसित समाज में बेल को लेकर विकसित न्यायशास्त्र की जरुरत है. क्योंकि मुकदमे के दौरान आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखना जायज नहीं ठहराया जा सकता. अदालत ने यह बात कहते हुए एक तथ्य की तरफ भी इशारा किया.

जहां अगस्त 2022 में ही इस मामले में एफआईआर दायर हो चुकी थी, चार चार्जशीट भी दायर हो चुके. निचली अदालत ने संज्ञान भी ले लिया मगर अब भी 17 आरोपियों से पूछताछ की जानी है. जमानत पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाने के बावजूद सीबीआई की गिरफ्तारी को अवैध करार देने की मांग पर दोनों जजों की राय बंटी हुई दिखी.

गिरफ्तारी पर जजों की राय अलग क्यों

जस्टिस सूर्यकांत ने गिरफ्तारी को वैध माना और इसे कानूनन दुरुस्त पाया. जस्टिस सूर्यकांत के मुताबिक पहले ही से हिरासत में लिए गए शख्स को जांच के लिए किसी और मामले में गिरफ्तार करने में कोई रोक नहीं है. अदालत ने सीबीआई के उस आवेदन का भी जिक्र किया जिसमें लिखा गया है कि गिरफ्तारी क्यों जरुरी थी. जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सीआरपीसी की धारा 41(ए)(3) का उल्लंघन नहीं माना.

हालांकि, जस्टिस उज्जल भुयन ने कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी की कोई जरुरत नहीं थी. जस्टिस भुयन के मुताबिक – गिरफ्तारी की शक्ति का इस्तेमाल किसी को टारगेट करते हुए उसके उत्पीड़न के लिए नहीं किया जाना चाहिए. ऐसा नहीं हो सकता कि आरोपी केवल अभियोजन पक्ष के हिसाब ही से जवाब दे. उसके जवाब देने को जांच में सहयोग और उसके चुप रहने के अधिकार को टालमटोल की कोशिश नहीं कहा जाना चाहिए. जब केजरीवाल ईडी मामले में जमानत पर हैं, तो उन्हें जेल में रखना न्याय का मखौल होगा.

. सीबीआई की कोर्ट ने ली क्लास, तोते वाली छवि से मुक्त हो

केजरीवाल को जमानत देते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की कार्यशैली पर अदादल ने बड़ी तल्ख टिप्पणी की. जस्टिस उज्जल भुयन ने यहां तक कहा कि केजरीवाल को ईडी के मामले में जमानत मिल जाने के बाद भी सीबीआई की गिरफ्तारी साफ तौर पर उनके जेल से बाहर आने की राह को मुश्किल करने करने की कोशिश दिखती है.

अदालत ने कहा – मार्च 2023 में सीबीआई ने केजरीवाल से पूछताछ किया लेकिन तब उन्हें गिरप्तारी की जरुरत महसूस नहीं हुई. मगर जैसे ही ईडी की गिरफ्तारी पर रोक लगी, सीबीआई हरकत में आई और केजरीवाल के हिरासत की मांग की. सीबीआई की इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करती है.

किसी जमाने में सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा गया था. केजरीवाल की सुनवाई के दौरान भी इसका जिक्र हुआ. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की छवि से मुक्त होना चाहिए. नहीं रखेंगे.