कांग्रेस का सेबी चीफ पर नया आरोप : आईसीआईसीआई बैंक दे रहा बुच को वेतन से ज्यादा पेंशन,जी समूह प्रमुख चंद्रा भी हुए हमलावर

सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की सैलरी के मामले में आईसीआईसीआई बैंक की सफाई सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर पलटवार किया है और कहा है कि ऐसी कौन सी नौकरी है, जहां सैलरी से ज्यादा पेंशन मिलती है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि हमने कल एक खुलासा किया था. हमने PM, SEBI और ICICI बैंक से सवाल पूछा था, उसमें से एक मोहरे का जवाब आया. ICICI का कहना है कि माधबी बुच को उन्होंने रिटायरमेंट बेनिफिट दिया. ये जवाब हमारे आरोप को और मजबूत करता है.’

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, ‘ऐसा कही होता है कि पेंशन शुरू होता है और फिर बंद होता है और फिर चालू हो जाता है. कौन सी ऐसी सैलरी है, जिससे पेंशन ज्यादा होता है. माधवी पुरी बुच की सैलरी से ज़्यादा पेंशन मिलता है. ये कैसे हो सकता है. ऐसी नौकरी सबको मिलनी चाहिए, जहां सैलरी से ज़्यादा पेंशन हो.’ उन्होंने आगे कहा, ‘कांग्रेस के अलावा भाजपा के एक पूर्व सांसद भी माधवी बुच पर भ्रष्ट होने का आरोप लगा रहे हैं. सरकार उनके आरोप पर जवाब दे.’

कांग्रेस के आरोपों पर आईसीआईसीआई बैंक की सफाई

कांग्रेस के आरोपों पर आईसीआईसीआई बैंक ने सोमवार को सफाई दी र कहा कि उसने अक्टूबर, 2013 में सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच की रिटायरमेंट के बाद से उन्हें कोई भी वेतन या ईएसओपी नहीं दिया है. कांग्रेस के आरोप पर बैंक ने बयान में कहा, ‘आईसीआईसीआई बैंक या इसकी समूह कंपनियों ने माधबी पुरी बुच को उनकी रिटायरमेंट के बाद उनके रिटायरमेंट लाभों के अलावा कोई वेतन या कोई ईएसओपी (कर्मचारी शेयर विकल्प योजना) नहीं दिया गया है. यह ध्यान देने योग्य है कि उन्होंने 31 अक्टूबर, 2013 से प्रभावी सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था.’ आईसीआईसीआई समूह में अपने कार्यकाल के दौरान बुच को बैंक की नीतियों के अनुरूप वेतन, सेवानिवृत्ति लाभ, बोनस और ईएसओपी के रूप में पारिश्रमिक मिला. बैंक ने कहा, ‘हमारे नियमों के तहत ईएसओपी आवंटित किए जाने की तारीख से अगले कुछ वर्षों में मिलते हैं. बुच को ईएसओपी आवंटन किए जाते समय लागू नियमों के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों समेत बैंक कर्मचारियों के पास विकल्प था कि वे अधिकृत होने की तारीख से 10 साल की अवधि तक कभी भी अपने ईएसओपी का उपयोग कर सकते हैं.’

डॉ. सुभाष चंद्रा ने भी सेबी प्रमुख पर लगाया भ्रष्ट होने का आरोप

जी समूह के संस्थापक डॉ. सुभाष चंद्रा ने सोमवार को बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ कई आरोप लगाते हुए कहा कि वह पूंजी बाजार नियामक के साथ सहयोग करना बंद कर देंगे. ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने कहा कि वह माधबी पुरी बुच के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संभावना तलाश रहे हैं, क्योंकि उन्हें ‘सेबी प्रमुख के भ्रष्ट होने’ का यकीन है. उन्होंने अन्य कॉरपोरेट घरानों से भी अपनी लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया. डॉ. सुभाष चंद्रा ने यह आरोप भी लगाया कि बुच उनके खिलाफ ‘पक्षपाती’ हैं और उन्होंने ‘सेबी के साथ आगे सहयोग नहीं करने’ का फैसला किया है. उन्होंने अपनी कंपनी ज़ी एंटरटेनमेंट से आगे सेबी के साथ सहयोग न करने का आग्रह करते हुए कहा कि कंपनी के खिलाफ पक्षपातपूर्ण जांच की जा रही है और सेबी प्रमुख अपनी पूर्व-निर्धारित मानसिकता के साथ काम कर रही हैं.

डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक और अपनी पड़ताल से मुझे पता चला है कि उस समय माधबी पुरी बुच और चंदा कोचर लगातार फोन पर बात कर रही थीं. वह बहुत करीबी शख्स थीं और चंदा कोचर ही उन्हें करोड़ों रुपये दे रही थीं, जिसका खुलासा हुआ है. वह आईसीआईसीआई बैंक से अवैध रूप से पैसे ले रही थीं. डॉ. सुभाष चंद्रा ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सेबी चेयरपर्सन के साथ उनके मामले ने ज़ी एंटरटेनमेंट और सोनी पिक्चर्स के प्रस्तावित विलय सौदे को भी प्रभावित किया. यह विलय सौदे को अलग करने का मुख्य कारण था. मैं इसीलिए आज सवाल कर रहा हूं कि सेबी से अल्पांश शेयरधारकों के हितों की रक्षा करने की उम्मीद की जाती है और वह सोनी को ज़ी के साथ विलय से रोकने में सफल रही. इस मामले के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.