ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर…इसरो की अंतरिक्ष में बड़ी छलांग, स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंग,जानिए क्यों इतना खास है ये मिशन

OO इसरो ने सोमवार की रात स्पेस में लंबी छलांग लगा ली है. इसरो (ISRO) सोमवार रात को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDex) को लॉन्च करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से स्पैडेक्स मिशन को लॉन्च किया.
पीएसएलवी-सी60 से दो छोटे सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च किए.

TTN Desk

अब अगले कदम के रूप में इसरो अगर स्पेस में डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक के डेमोंस्ट्रेट में सफल रहती है तो भारत एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा.
फिलहाल, स्पेस में डॉकिंग-अनडॉकिंग तकनीक सिर्फ तीन देशों के पास है. इन देशों में अमेरिका, रुस और चीन है. इस उपलब्धि को हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन सकता है.

O इसरो प्रमुख सोमनाथ ने सफल लॉन्च पर क्या कहा

इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, मैं स्पैडेक्स मिशन के लिए पीएसएलवी-सी60 के सफल लॉन्च की घोषणा करता हूं। रॉकेट ने उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित किया है। पीएसएलवी परियोजना की पूरी टीम को बधाई, जिन्होंने उपग्रहों सही कक्षा में पहुंचाया। साथ ही, स्पैडेक्स टीम को भी बधाई, जिन्होंने दो छोटे उपग्रहों का डिजाइन करके एक नए और सस्ते डॉकिंग मिशन पर काम किया।

अंतरिक्ष में डॉकिंग-अनडॉकिंग तकनीक कैसे काम करती है और ये क्या है? आइए इस पर नजर डालते हैं….

O क्या है स्पैडेक्स मिशन ? नए साल के पहले सप्ताह में मिल सकती है बड़ी खबर

इसरो के इस मिशन के तहत दो सैटेलाइट स्पेस में जाएंगी. दोनों सैटेलाइट का वजन लगभग 220 किलोग्राम होगा. इसमें से एक चेजर और एक सैटेलाइट टारगेट को होगी. इस मिशन का अहम टारगेट डॉकिंग और अनडॉकिंग करना है.
स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट जनवरी के पहले सप्ताह में किया जाएगा. ये एक्सपेरिमेंट धरती से लगभग 470 किमी. दूर होगा. एक्सपेरिमेंट सक्सेस होने के बाद दोनों सैटेलाइट दो साल तक धरती का चक्कर लगाएंगे. सैटेलाइट चेजर में कैमरा लगा हुआ है. वहीं सैटेलाइट टारगेट में दो पेलोड हैं.

O क्या है डॉकिंग तकनीक?

इसरो के इस मिशन का मकसद स्पेस में डॉकिंग-अनडॉकिंग तकनीक का सफल प्रदर्शन करना है. आसान भाषा में समझें तो अंतरिक्ष में इस तकनीक के जरिए दोनों सैटेलाइट आपस में जुड़ेंगी. इसे डॉकिंग कहा जाता है. इसके बाद स्पेस में दोनों सैटेलाइट अलग होंगी. इसे अनडॉकिंग कहा जाता है.

O तो भारत बन जाएगा ऐसा करने वाला चौथा देश

अगर इसरो इस मिशन को पूरा कर लेता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. पढ़ने में ये प्रक्रिया आसान लग रही होगी लेकिन ऐसा नहीं है. दोनों सैटेलाइट स्पेस में 28 हजार किमी. प्रति घंटे की स्पीड से ट्रैवल करेंगे. इसी स्पीड में दोनों सैटेलाइट को आपस जुड़ना है और अलग भी होना. सबसे खास बात ये है कि बिना टकराए इस प्रक्रिया को पूरा करना है.

O अपने दम पर हासिल करेगा भारत ये सफलता,जानिए क्यों है अहम

पूरी दुनिया में सिर्फ तीन देश अमेरिका, रूस और चीन के पास ही स्पेस में डॉकिंग तकनीक है. इन देशों ने किसी के साथ इस टेक्नीक को शेयर नहीं किया है. भारत अपने दम पर इस उपलब्धि को हासिल करेगा. अगर भारत ऐसा कर लेता है तो एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा.
स्पेस में भारत के पास डॉकिंग तकनीक के आने से बहुत बड़ा फायदा होगा. इस तकनीक से भारत खुद का स्पेस सेंटर स्थापित कर पाएगा. इसके अलावा चन्द्रयान-4 की सफलता में ये तकनीक बड़ी भूमिका निभाएगी. यही वजह है डॉकिंग सिस्टम में महारत हासिल करना भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.