अंदर की बात : जब पास नहीं होना उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास तो फिर विपक्ष क्यों ला रहा ये प्रस्ताव..?

OO उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष ने पेश किया है। कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सांसदों के हस्ताक्षर वाले इस प्रस्ताव को राज्यसभा के जनरल सेक्रेटरी को सौंप दिया गया है। इस प्रस्ताव को ममता बनर्जी की टीएमसी का भी समर्थन मिल गया है। जयराम रमेश ने कहा कि यह कठिन फैसला है, लेकिन मजबूरी में हमें ऐसा करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सांसदों को तो सदन में बोलने का भी मौका नहीं दिया जाता। उनका माइक तक बंद कर दिया जाता है। यह पक्षपात की स्थिति है और इसलिए हमें अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है।

TTN Desk

राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। उच्च सदन में विपक्ष ने इस संबंध में नोटिस दिया है। विपक्षी दलों ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए अनुच्छेद 67बी के तहत नोटिस दिया। नोटिस राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को सौंपा गया है। इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच टकराव सोमवार को चरम पर पहुंच गया था। इस टकराव के बाद विपक्ष ने धनखड़ को उनके कार्यकाल से हटाने के लिए एक अविश्वास प्रस्ताव लाने फैसला किया।

O जब मालूम है पास नहीं होगा फिर विपक्ष क्यों लाया प्रस्ताव

मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि विपक्ष जानता है कि यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाएगा और वो इसे यह संदेश देने के लिए लाया है कि राज्यसभा में उसके सांसदों के खिलाफ पक्षपात किया जा रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में भी विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ यह प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी.

O क्या इससे पहले भी आया है प्रस्ताव

भारत में उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कभी भी प्रस्ताव नहीं लाया गया है. जबकि 1963 के बाद से कई प्रधानमंत्रियों के खिलाफ 31 अविस्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं.इनमें से तीन प्रस्ताव पारित हुए हैं.इससे विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवेगौड़ा और अटल बिहारी वाजपेयी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

O उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया क्या है?

-उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए संविधान के आर्टिकल 67 बी के तहत कम से कम 50 सदस्यों के साइन से राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.

-नियमों के मुताबिक, संबंधित प्रस्ताव 14 दिन पहले राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा जाना चाहिए. 

-उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव सिर्फ राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है. लोकसभा में नहीं.

-इस प्रस्ताव को राज्यसभा में प्रभावी बहुमत (खाली सीटों को छोड़कर मौजूद सदस्यों का बहुमत) मिलना चाहिए. लोकसभा में इसे साधारण बहुमत से पारित होना चाहिए.

-जब तक प्रस्ताव विचाराधीन होता है, तब तक उपराष्ट्रपति; जो कि राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं वो सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकते.

-राज्यसभा के सभापति इस। दौरान लोकसभा में वोटिंग कर सकते हैं, लेकिन वोटों की समानता के केस में उन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं होगा.

-उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होती है.

O क्या राज्यसभा के सभापति को एक प्रस्ताव से हटाया जा सकता है?

नहीं. देश का उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं. उन्हें सभापति पद से तभी हटाया जा सकता है, जब उन्हें उपराष्ट्रपति पद से भी हटाया जाए. उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा में सबकी सहमति से पास हुए प्रस्ताव के जरिए ही हटाया जा सकता है. इस प्रोसेस को महाभियोग कहते हैं. लेकिन भारत के राजनीतिक इतिहास में अब तक किसी भी उपराष्ट्रपति को नहीं हटाया गया है.

O अविश्वास प्रस्ताव पर संसद के दोनों सदनों में क्या है नंबर गेम?

लोकसभा में NDA के 293 और INDIA के 236 सदस्य हैं. बहुमत 272 पर है. विपक्ष अन्य 14 सदस्यों को साधे तो भी प्रस्ताव पारित होना मुश्किल होगा. विपक्ष के पास राज्यसभा में भी इस प्रस्ताव को पास कराने के लिए नंबर नहीं हैं. उनके पास 250 में केवल 103 सीटें हैं, लिहाजा उनके लिए आवश्यक बहुमत हासिल कर पाना मुश्किल है.

बेशक विपक्ष इस प्रक्रिया को शुरू कर सकता है. इसे एक राजनीतिक बयान या रणनीति के रूप में उपयोग कर सकता है. लेकिन संसद में इस तरह के प्रस्ताव को सफलतापूर्वक पारित करना असंभव सा ही है.