O0 विश्वराज बोले- झगड़ा नहीं चाहता, इसलिए नहीं जाता हूं; प्रशासन ने पैलेस के गेट पर लगाया नोटिस
TTN Desk
उदयपुर के सिटी पैलेस के बाहर सोमवार देर रात दोनों ओर से पत्थरबाजी हुई। मंगलवार सुबह भी तनाव की आशंका के चलते भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात है।
उदयपुर के सिटी पैलेस के बाहर सोमवार देर रात दोनों ओर से पत्थरबाजी हुई। मंगलवार सुबह भी तनाव की आशंका के चलते भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात है।
O अब धूणी के दर्शन नहीं करेंगे विश्वराज
राजस्थान के उदयपुर के पूर्व राजघराने का विवाद आज भी जारी है। सोमवार को हुई हिंसा के बाद मंगलवार को विश्वराज सिंह मेवाड़ ने कहा मैं लड़ाई-झगड़ा नहीं चाहता। इसलिए सिटी पैलेस में नहीं जाता हूं। उन्होंने कहा कि एकलिंगनाथ जी मंदिर धूणी से पुराना है इसलिए कल वे उनके दर्शन करने जाएंगे।विश्वराज सिंह ने चुनाव से पहले बीजेपी की सदस्यता ली और चुनाव जीत कर विधायक बने है।
O सोमवार की रात हुआ पैलेस के बाहर भारी बवाल
इससे पहले सोमवार देर रात उदयपुर के सिटी पैलैस, परिवार के अन्य सदस्यों और विश्वराज समर्थकों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई। इसमें कई लोग घायल भी हुए। महाराणा प्रताप के वंशजों में ऐसा झगड़ा पहली बार सामने आया है।
O प्रशासन ने लगाया कुर्की का नोटिस
वहीं, सोमवार देर रात करीब 1 बजे प्रशासन ने विवादित जगह को कुर्क कर रिसीवर की नियुक्ति कर दी। विपक्षी ट्रस्ट से पत्थरबाजी और विवादित स्थल को लेकर 27 नवंबर तक जवाब भी मांगा है।
O महेंद्र सिंह के निधन के बाद शुरू हुआ विवाद
यह पूरा विवाद उदयपुर राजघराने के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे और नाथद्वारा से भाजपा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक और इससे जुड़ी रस्मों को लेकर हुआ।
O राजशाही खत्म हो गई पर रस्में जिंदा है
राजशाही खत्म होने के बाद भी यह रस्म प्रतीकात्मक रूप से निभाई जाती है। विश्वराज सिंह राजतिलक के बाद सिटी पैलेस के अंदर धूणी के दर्शन करने जाना चाहते थे, लेकिन सिटी पैलेस में रहने वाले उनके चाचा के परिवार ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। यहीं से पूरा विवाद शुरू हुआ।
O 493 बाद हुआ राजतिलक,दी 21 तोपों की सलामी
मेवाड़ राजपरिवार के इतिहास में 493 वर्षों बाद सोमवार को नया अध्याय जुड़ गया। नाथद्वारा विधायक और महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित फतह प्रकाश महल के प्रांगण में राजतिलक हुआ। महाराणा बनने के बाद विश्वराज मेवाड़ के 77वें दीवान भी घोषित हुए। मंगलाचार गाने के बाद 21 तोपों की सलामी दी गई। परंपरा के अनुसार, सलूम्बर के रावत देवव्रत सिंह ने तलवार से अंगूठे को चीरा लगाकर रक्त से तिलक किया।
0 जड़ में है प्रॉपर्टी का विवाद
उदयपुर के आखिरी महाराणा भगवत सिंह ने 1963 से 1983 तक राजघराने की कई प्रॉपर्टी को लीज पर दे दिया, तो कुछ प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी बेच दी। इनमें लेक पैलेस, जग निवास, जग मंदिर, फतह प्रकाश, शिव निवास, गार्डन होटल, सिटी पैलेस म्यूजियम जैसी बेशकीमती प्रॉपर्टीज शामिल थीं। ये सभी प्रॉपर्टी राजघराने द्वारा स्थापित एक कंपनी को ट्रांसफर हो गई थीं। यहीं से विवाद शुरू हुआ।