नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, आईसीआरएमआर ने corona की दूसरी लहर में राज्यों और डॉक्टरों के लिए नई गाइडलाइंस जारी करते हुए आरटीसीपीआर टेस्ट का उपयोग कम करने पर जोर दिया है। ताकि लैब पर दबाव कम हो और मरीजों की पहचान जल्दी हो और उन्हें उपयुक्त चिकित्सा जल्द से जल्द प्राप्त हो जाए। लगभग देश के सभी जिलों में आज हालत यह है की टेस्ट सैंपल देने के बाद रिजल्ट आने में कम से कम 3 से 4 दिनों का समय लग रहा है। क्यूंकि lab कम हैं और सैंपल्स बहुत ज्यादा।
इससे symptomatic और asymptomatic दोनो ही मरीजों से खतरा बना हुआ है। Asymptomatic मरीज जांच की रिपोर्ट ना आने तक अपने आप को आइसोलेट नही करते और बीमारी के फैलने का खतरा बढ़ जाता है और symptomatic मरीज को रिपोर्ट पॉजिटिव ना आने तक कई अस्पतालों में दाखिला नहीं मिलता और उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ जाती है। इन सब को देखते हुए ही इन गाइडलाइंस में थोड़े बदलाव किए गए हैं जिससे स्थिति को सुधारा जा सके। जिसके मुख्य बिंदु कुछ इस प्रकार हैं :
1 पॉजिटिव मरीज का दूसरी बार आरटीपीसीआर टेस्ट ना किया जाए।
2 हॉस्पिटल से डिस्चार्ज के समय भी आरटीपीसीसी रिपोर्ट नेगेटिव आने तक की अनिवार्यता रद्द। निश्चित समय के बाद तबियत में सुधार हो जाने पर हॉस्पिटल से छुट्टी दी जा सकेगी।
3. स्वस्थ व्यक्तियों के इंटरस्टेट यात्रा के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट की जरूरत को पूरी तरह खत्म किया जाए। ताकि lab पर अतिरिक्त दबाव ना पड़े।
इसके अलावा आईसीएमआर ने रैपिड एंटीजन टेस्ट को बढ़ावा देने की बात कही है और उसमे पॉजिटिव पाए जाने पर ही बिना rtpcr टेस्ट किए कोविड नियमो का पालन करने की सलाह दी है। रैपिड एंटीजन टेस्ट का सबसे बड़ा फायदा यह है की इसकी रिपोर्ट 15 मिनट में ही मिल जाती है लेकिन समस्या यह है की एक्यूरेसी 50% ही है।
गाइडलाइन : Advisory_COVID_Testing_in_Second_Wave_04052021