TTN Desk
ओटावा, कनाडा, 3 जून 2025: इस साल जून में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन के लिए कनाडा ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभी तक कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं भेजा है। यह पिछले छह वर्षों में पहली बार होगा जब पीएम मोदी इस प्रतिष्ठित वैश्विक मंच पर शामिल नहीं होंगे, जबकि वह 2019 से लगातार G7 बैठकों में भाग लेते रहे हैं। यह घटना भारत और कनाडा के बीच बिगड़ते द्विपक्षीय संबंधों में एक और गिरावट का प्रतीक है।
O ये है संबंधों में तनाव की पृष्ठभूमि
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गिरावट पिछले साल सितंबर 2023 में शुरू हुई थी, जब खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या कर दी गई थी। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में “कथित भारतीय लिंक” का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने दृढ़ता से खारिज कर दिया था। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव काफी बढ़ गया, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और व्यापारिक संबंध भी प्रभावित हुए।
Oनिमंत्रण न मिलने का क्या मतलब है?
पीएम मोदी को G7 में निमंत्रण न मिलना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कनाडा भारत के साथ अपने संबंधों को लेकर अभी भी सतर्क है और दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई बनी हुई है। भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन पिछले कई वर्षों से ‘आउटरीच’ देशों के रूप में G7 शिखर सम्मेलनों में आमंत्रित किया जाता रहा है। यह भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता था। इस साल निमंत्रण न मिलने से भारत की कूटनीतिक स्थिति पर सवाल उठ सकते हैं, हालांकि भारतीय अधिकारी इसे द्विपक्षीय संबंधों के एक पहलू के रूप में देख सकते हैं।
कुछ रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि भारत-कनाडा संबंधों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, भले ही निमंत्रण आता, पीएम मोदी के लिए इस यात्रा पर जाना कूटनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता था, जिसमें सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी शामिल थीं।
O अन्य अतिथि देश और विपक्षी प्रतिक्रिया
कनाडा ने अभी तक शिखर सम्मेलन में अतिथि देशों की सूची की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, कनाडाई मीडिया में आई खबरों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया, यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। यह संकेत देता है कि कनाडा अपने अतिथि देशों के चयन में विशेष रणनीतिक प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
भारत में विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को “एक और बड़ी कूटनीतिक चूक” बताया है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर भारत के कूटनीतिक संबंधों को कमजोर करने का आरोप लगाया है, खासकर प्रमुख पश्चिमी देशों के साथ।