TTN Desk
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार मौजूदा संसद सत्र में ही ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल पेश कर सकती है। सरकारी सूत्रों के हवाले से यह कहा गया है कि सरकार शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पेश करने की तैयारी में है। बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने पहले ही एक देश, एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे रखी है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है और विस्तृत चर्चा के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजना चाहती है।
O सरकार करेगी आमराय की कोशिश
सरकार से जुड़े सूत्र कह रहे हैं कि सरकार चाहती है कि रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली एक्सपर्ट कमेटी की 18,636 पन्नों की रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा हो। खबर है कि सरकार ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, किरण रिजिजू और अर्जुनराम मेघवाल को विपक्षी नेताओं के साथ बैठकें कर आम राय बनाने को कहा है।
O व्यवस्था बदलना तो अभी बहुत चुनौतीपूर्ण
सूत्रों ने बताया कि जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से इस बिल पर विस्तार से चर्चा करेगी और इस प्रक्रिया में अन्य हितधारकों से भी बातचीत करेगी। सूत्रों ने बताया कि इस प्रक्रिया में देशभर के बुद्धिजीवियों के साथ-साथ सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को भी बुलाया जा सकता है। इसके अलावा आम लोगों की राय भी ली जा सकती है क्योंकि आम सहमति के बिना मौजूदा चुनावी व्यवस्था को बदलना बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
O बिना दो तिहाई बहुमत के नहीं बनेगी बात
जानकार बताते हैं कि “एक राष्ट्र एक चुनाव” योजना को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए कम से कम छह विधेयक लाने होंगे और इसके लिए सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल, एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में साधारण बहुमत ही है। ऐसे में संसद के किसी भी सदन में दो-तिहाई बहुमत हासिल करना सरकार के लिए एक कठिन काम हो सकता है। राज्यसभा की 245 सीटों में से एनडीए के पास 112 और विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं। दो-तिहाई बहुमत के लिए सरकार को कम से कम 164 वोटों की जरूरत है।