जानिए सोरोस को : आखिर क्यों लगे इन पर भारत को अस्थिर करने के आरोप,क्यों इन्होंने लिया था पीएम मोदी को निशाने पर

OO भाजपा ने शनिवार को आरोप लगाया कि अमेरिका के डीप स्टेट ने भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए मीडिया पोर्टल ओसीसीआरपी (संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना) और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मिलीभगत की। हालांकि, अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने इन आरोपों का खंडन किया है।इसके बाद रविवार को बीजेपी ने सोनिया गांधी पर आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी से फंडिंग प्राप्त कश्मीर को अलग बताने वाले एक संगठन से उनके संबंध है। यह मामला सुर्खियों में हैं। साथ ही जॉर्ज सोरोस का नाम भी फिर चर्चा में है।

सोरोस भारत में पहली बार विवादों में नहीं हैं। इससे पहले अदाणी के मुद्दे पर मोदी सरकार पर टिप्पणी कर वह विवादों में आए थे। आखिर जॉर्ज सोरोस कौन हैं? उनका विवादों से क्या नाता रहा है? उन्होंने अपनी संपत्ति कैसे अर्जित की और उनकी आलोचना क्यों होती है? वह अभी क्यों चर्चा में हैं? आइये जानते हैं…

जॉर्ज सोरोस कौन हैं?

विश्वकोश ब्रिटानिका के अनुसार, सोरोस का जन्म हंगरी के बुडापेस्ट में 1930 में हुआ था। उनका जन्म एक समृद्ध यहूदी परिवार में हुआ था, लेकिन 1944 में हंगरी में नाजियों के आगमन के कारण उनके शुरुआती दिन संघर्ष भरे रहे। कहा जाता है कि सोरोस ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अपनी पढ़ाई के लिए रेलवे पोर्टर और वेटर के रूप में काम किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर की ओर से बनाए गए यातना शिविरों में भेजे जाने से बचाने के लिए सोरोस को परिवार से अलग रहना पड़ा। सोरोस 1947 में अपने परिवार के साथ लंदन चले गए। सोरोस ने दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया और दार्शनिक बनने की योजना बनाई।

सोरोस ने अपना फंड बनाने से पहले लंदन मर्चेंट बैंक में काम किया। सोरोस 1956 में न्यूयॉर्क शहर चले गए जहां उन्होंने यूरोपीय प्रतिभूतियों के विश्लेषक (एनालिस्ट) के रूप में काम करना शुरू किया। जॉर्ज सोरोस पर 1997 में थाईलैंड की मुद्रा (बाहट) पर सट्टा लगाकर उसे कमजोर करने के भी आरोप लगे। हालांकि खुद सोरोस इस आरोप से इंकार करते हैं। उनका नाम उस वित्तीय संकट से जोड़ा गया था जो उस वर्ष एशिया के अधिकांश हिस्सों में फैल गया था। मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद ने रिंगिट के पतन के लिए भी सोरोस को जिम्मेदार ठहराया था।

O 1984 में की ओपन फाउंडेशन की स्थापना

सोरोस ने 1984 में अपनी संपत्ति के कुछ हिस्सों का उपयोग करके ओपन सोसाइटी फाउंडेशन नामक एक परोपकारी संगठन की स्थापना की। ओपन सोसाइटी कई परोपकारी संगठनों का नेटवर्क था। 1969 से 2001 तक जॉर्ज सोरोस ने एक प्रसिद्ध हेज फंड टाइकून के रूप में न्यूयॉर्क में ग्राहकों के धन का प्रबंधन किया। सोरोस ने 2010 में ह्यूमन राइट्स वॉच को 100 मिलियन डॉलर का दान दिया था। उदारवादी रुख और डेमोक्रेटिक पार्टी से नजदीकी के कारण सोरोस को अक्सर कंजरवेटिव और रिपब्लिकन पार्टी की आलोचना का शिकार होना पड़ता है।

O अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी को दिया था बड़ा दान

ब्रिटानिका के अनुसार, ओपन सोसाइटी फाउंडेशन 21वीं सदी की शुरुआत से 70 से अधिक देशों में काम कर रहा है। 2017 में ऐसी खबरें आई थीं कि सोरोस ने हाल के वर्षों में ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को करीब 18 अरब डॉलर दिए हैं। सोरोस ने वर्ष 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी को 128.5 मिलियन डॉलर का दान दिया और और वे सबसे बड़े दानदाता रहे। सोरोस अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के राष्ट्रपति अभियान के पीछे भी एक प्रमुख चेहरा थे।

O सोरोस पर ये आरोप भी लगते है

अमेरिकी अरबपति-परोपकारी जॉर्ज सोरोस पर आरोप लगाया जाता है कि वे राजनीति को आकार देने और सत्ता परिवर्तन के लिए अपने धन और प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने 2020 में राष्ट्रवाद के प्रसार से निपटने के लिए एक नए विश्वविद्यालय नेटवर्क को एक बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने का एलान किया था।

O बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने का भी आरोप

जॉर्ज सोरोस को बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। जिस तरह से भारत में रिजर्व बैंक (आरबीआई) काम करता है उसी तरह ब्रिटेन में बैंक ऑफ इंग्लैंड काम करता है। सोरोस पर आरोप लगते हैं कि हेज फंड मैनेजर ने एक समय पर ब्रिटिश मुद्रा (पाउंड) को शॉर्ट कर एक बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया था। फोर्ब्स के अनुसार, 29 जून, 2023 तक जॉर्ज सोरोस की कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर है। वह दुनिया के सबसे धनाढ्य लोगों में से एक हैं।

O भारत में उनसे जुड़े विवाद क्या रहे?

वह भारत के प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भी आलोचक रहे हैं। 2020 में सोरोस ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि राष्ट्रवाद आगे बढ़ रहा है और उन्होंने कहा था कि यह भारत में ‘सबसे बड़े झटके’ की तरह है।

O पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी के बाद भी आए थे चर्चा में

इसके बाद इसी साल फरवरी में अरबपति जॉर्ज सोरोस अदाणी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपनी टिप्पणी के बाद भारत में विवादों में आ गए। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने तब सोरोस पर पलटवार करते हुए कहा था कि अरबपति सोरोस भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

O राहुल को लिया बीजेपी ने निशाने पर

गुरुवार को झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी के सोरोस से संबंध हैं, जो भाजपा नेता के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। दुबे ने शून्यकाल के दौरान सदन में आकर नारे लगाए: “कांग्रेस का हाथ सोरोस के साथ है।”

O सोरोस के फाउंडेशन ने 1999 में भारत में काम शुरू किया अब प्रतिबंधित

सोरोस की फाउंडेशन ने 1999 में भारत में काम करना शुरू किया था। 2021 तक, सोरोस की फाउंडेशन ने अपनी भारत गतिविधियों के लिए लगभग 3.4 करोड़ रुपये दिए हैं, जो उस वर्ष दुनिया भर में इसकी कुल 12,703 करोड़ रुपये की फंडिंग का 0.02 प्रतिशत है।इसके बाद भारत सरकार ने इसकी फंडिंग को प्रतिबंधित कर दिया।