इनसे लीजिए संघर्ष की प्रेरणा : महिला जज बर्खास्त हुई फिर वकील बनी… सात साल संघर्ष कर जीता अपना केस,फिर से हासिल की जज की कुर्सी

OO दैनिक भास्कर ,बिलासपुर में बुधवार को अनुपम सिंह ने एक महिला जज की बर्खास्तगी और उसके वकील बन कर खुद सात साल न्यायिक संघर्ष से जीत हासिल कर पुनः अपना पद, प्रतिष्ठा हासिल करने की प्रेरक स्टोरी प्रकाशित की है।निश्चित ही यह उन सभी के लिए एक मिसाल है,जो दोष न होते हुए भी सजा के हकदार हो जाते है। जो पुरुषसत्त्मक समाज में पुरुषों की मनमानी ,अनुचित व्यवहार को सह कर खामोश हो जाती है।आइए आप भी जानिए आकांक्षा भारद्वाज की यह प्रेरणास्पद दास्तान जो अन्याय के खिलाफ लड़ने का जज्बा देती है…

TTN Desk

बिलासपुर।बर्खास्त की गई महिला सिविल जज को हाई कोर्ट में बड़ी जीत मिली है। स्थायी समिति की अनुशंसा पर 7 साल पहले उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने याचिका लगाई थी। इसमें खुद बहस कर केस जीता था। इसके बाद विधि एवं विधायी विभाग और हाई कोर्ट ने अपील की थी। डिवीजन बेंच में भी उन्होंने खुद अपना पक्ष रखा था। पक्ष में फैसला आने पर मंगलवार को हाई कोर्ट ने उन्हें नियुक्ति दे दी है।

बिलासपुर के सरकंडा में रहने वाली आकांक्षा भारद्वाज का चयन वर्ष 2012-13 में परीक्षा के जरिए सिविल जज (प्रवेश स्तर) के पद पर हुआ था। 12 दिसंबर 2013 को जारी आदेश के अनुसार उन्हें दो वर्ष की परिवीक्षा पर नियुक्त किया गया। उन्होंने 27 दिसंबर 2013 को जॉइन किया।

इस दौरान एक सीनियर मजिस्ट्रेट ने उसने अनुचित व्यवहार किया, पर नई जॉइनिंग होने से उन्होंने शिकायत नहीं की। प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद उन्हें अगस्त 2014 में अंबिकापुर में प्रथम सिविल जज वर्ग-2 के पद का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। इस बीच, अधिकांश सीनियर मजिस्ट्रेट का तबादला हो गया। अंबिकापुर में सिर्फ 4 सिविल जज बचे।

सभी एक सीनियर मजिस्ट्रेट के अधीन थे। आरोप है कि जब भी वे सीनियर मजिस्ट्रेट के पास न्यायिक मामलों में मार्गदर्शन के लिए जाती, तो उनसे अनुचित व्यवहार किया जाता था। उन्होंने उच्चाधिकारियों से पहले मौखिक और बाद में लिखित शिकायत की। उनकी शिकायत पर हाई कोर्ट ने आंतरिक शिकायत कमेटी बनाई। कमेटी ने 6 अप्रैल 2016 को रिपोर्ट सौंपी।

उसमें सीनियर मजिस्ट्रेट के खिलाफ शिकायत निराधार पाई। कमेटी की रिपोर्ट के खिलाफ अपील की गई, पर उसे भी 5 जनवरी 2017 को खारिज कर दिया गया। तब हाई कोर्ट की सिफारिश पर आकांक्षा को 9 फरवरी 2017 को विधि-विधायी विभाग ने बर्खास्त कर दिया।

बर्खास्तगी के खिलाफ उन्होंने याचिका लगाई थी, इसमें खुद अपना पक्ष रखा। सिंगल बेंच ने मई 2024 में उनके पक्ष में फैसला देते बैक वेजेस के बगैर सिविल जज-2 के पद पर वरिष्ठता के साथ बहाल करने के आदेश दिए थे।

महासमुंद में बतौर सिविल जज जूनियर डिवीजन नियुक्ति​सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट और विधि एवं विधायी विभाग ने अपील की थी। महिला सिविल जज ने सिंगल बेंच के फैसले के एक हिस्से को चुनौती दी थी। इस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई थी। हाई कोर्ट ने अपील मंजूर की थी।

इसके बाद 3 दिसंबर 2024 को उनकी पोस्टिंग कर दी गई है। सोमवार को हाई कोर्ट से जारी तबादला और पोस्टिंग आदेश के तहत उन्हें महासमुंद में पदस्थ किया गया है।