तिरुपति लड्डू विवाद: सुप्रीम कोर्ट की सीएम नायडू को लताड़ …कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखें

TTN Desk

तिरुमाला स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रसाद में मिलावट बहुत ही चिंताजनक है. जांच जारी है तो आंध्र प्रदेश के सीएम ने बयान क्यों दिया? ये श्रद्धालुओं की आस्था का सवाल है. कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखें. सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं सहित सभी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन अक्टूबर की तारीख तय की है.
याचिकाकर्ताओं में डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी, वाईबी सुब्बा रेड्डी, विक्रम सेठ और दुष्यंत श्रीधर शामिल हैं। सोमवार को मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने की। कोर्ट ने कहा ,’जब आप (मुख्यमंत्री) संवैधानिक पद पर होते हैं… तो हम उम्मीद करते हैं कि भगवान को राजनीति से दूर रखेंगे। अगर आपने पहले ही जांच के आदेश दे दिए थे, तो प्रेस के पास जाने की क्या जरूरत थी। लैब की रिपोर्ट जुलाई में आई… आपका बयान सितंबर में आया और रिपोर्ट भी एकदम स्पष्ट नहीं थी…।’

कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार के वकील से कहा कि लैब रिपोर्ट से पता चलता है कि जिस घी की जांच की गई थी, वह रिजेक्ट किया गया घी था. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि एसआईटी जांच के आदेश के बाद प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी. सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से पूछा कि एसआईटी जांच के नतीजे आने तक प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए.

लड्डू विवाद: सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यह दिखाने के लिए क्या सबूत हैं कि लड्डू बनाने में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया था.

हम कम से कम इतनी उम्मीद करते हैं कि देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाएगा ।

अगर जांच के आदेश दिए गए थे तो प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी।

तिरुपति लड्डू विवाद पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह आस्था का मामला है. अगर मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया है तो यह अस्वीकार्य है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्राथमिकी दर्ज किए जाने या एसआईटी गठित किए जाने से पहले तिरुपति लड्डुओं के बारे में बात की थी.

उच्च संवैधानिक पदाधिकारी का जांच जारी रहने के बीच सार्वजनिक रूप से कुछ कहना उचित नहीं था : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जा सकती है.