प्रदेश में पहली बार 400 केवी की चालू लाइन में की गई टॉवर शिफ्टिंग

0 सफल रहा विद्युत कंपनी का अनूठा प्रयोग ईआरएस,लाखों लोगों को मिलती रही निर्बाध बिजली

रायपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के कर्मठ कर्मियों ने एक ऐसे चुनौतिपूर्ण कार्य को त्वरित गति से अंजाम दिया है, जिसमें अतिउच्च दाब 400 किलोवाट (केवी) की लाइन को बंद किये बिना ही नया विशालकाय टॉवर लगाया जा रहा है। दरअसल यह कार्य रायपुर-विशाखापट्टनम की नई सिक्सलेन सड़क पर हो रहा है, जिसमें सड़क की ऊंचाई अधिक होने के कारण बिजली टॉवर की ऊंचाई बढ़ानी पड़ रही है। यदि टॉवर लाइन में विद्युत सप्लाई बंद करके काम किया जाता तो बस्तर संभाग सहित धमतरी और बालोद जिले में लगभग एक सप्ताह ब्लैक आऊट करना पड़ता। परन्तु ट्रांसमिशन कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी अपनी सूझबूझ और नवीन तकनीक का इस्तेमाल कर इस कार्य को पूरा करने जा रहे हैं।

ट्रांसमिशन कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री राजेश कुमार शुक्ला सहित इंजीनियरों की टीम ने आज इस कार्य का अवलोकन किया। श्री शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 400 केवी रायता-कुरुद डबल सर्किट (डीसीडीएस) के टॉवर की ऊंचाई बढ़ाने के लिए अनुरोध किया है।

वर्तमान में सड़क से टॉवर लाइन के तार की दूरी 12 मीटर है, जबकि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के सुरक्षा नियमों के अनुसार सिक्सलेन सड़क में यह दूरी 16 मीटर होनी चाहिए। ऐसे में सुरक्षा को देखते हुए टॉवर की ऊंचाई बढ़ाई जानी है, लेकिन इस टॉवर लाइन से पूरे बस्तर संभाग में एमएमडीसी नगरनार, खनन क्षेत्र सहित छह लाख से अधिक घरेलू उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति होती है। इसे बंद किया जाना संभव नहीं था, इसलिए ईआरएस (इमरेंसी रिस्टोरेशन सिस्टम) से चार अस्थायी टॉवर खड़ा करके विद्युत आपूर्ति जारी रखी गई है। उन्होंने बताया कि इसमें लगभग एक किलोमीटर की दूरी में चार अस्थायी टॉवर लगाए गए हैं, जहां यह ईआरएस (अस्थायी टॉवर) लगाया जा रहा है, वह भूमि बहुत ही दुर्गम और दलदली है, जहां काम करना आसान नहीं है, परन्तु ट्रांसमिशन कंपनी के कर्मियों ने यह उल्लेखनीय कार्य किया है।

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के बाद यह पहला प्रयोग है जब 400 केवी की चालू लाइन में टॉवर खड़ा किया जा रहा यह कार्य पांच दिन से चल रहा है। इसमें 44 मीटर ऊंचे टॉवर के स्थान पर 52 मीटर ऊंचाई के दो नए टॉवर बनाए जा रहे हैं। दो-तीन दिन में यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इस कार्य में लगभग 11 करोड़ रूपए खर्च हो रहे हैं।

एमडी श्री शुक्ला के साथ कार्यपालक निदेशक केएस मनोठिया, आरसी अग्रवाल, जी. आनंद राव, अति. मुख्य अभियंता चंद्रकला गिडवानी, अधीक्षण अभियंता वीए देशमुख, आरके तिवारी, करूणेश यादव, यूआर मिर्चे, कार्यपालन अभियंता उमाकांत यादव, सुचेंद्र कुमार उइके, हेमकैलाश साहू, अनिल व्दिवेदी, प्रोबल मिश्रा, सहायक अभियंता पीके तिवारी सहित एनएचएआई व कंस्ट्रक्शन कंपनी शालीमार के अधिकारी उपस्थित थे।