हिंदू ट्रस्ट में मुस्लिम या गैर हिन्दू की एंट्री पर केंद्र से सवाल.. वक्फ पर `सुप्रीम` सुनवाई; जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा… आज भी होगी सुनवाई

OO वक़्फ़ संशोधन क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने इस मामले में कई टिप्पणियां की हैं और इस पर गुरुवार को फिर सुनवाई होगी.

OO सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस क़ानून से जुड़ी कुछ धाराओं को लेकर अंतरिम आदेश जारी करने पर विचार कर रही है.इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वो हिंदू समुदाय के धार्मिक ट्रस्ट में मुसलमान या ग़ैर हिंदू को जगह देने पर विचार कर रही है.

OO केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निवेदन किया कि इस मामले में कोई भी आदेश जारी करने से पहले उनको भी सुन लिया जाए.

TTN Desk

वक़्फ़ संशोधन क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पहले दिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ वकील पेश हुए.वकीलों ने तर्क दिया है कि वक़्फ़ संशोधन क़ानून के कई संशोधन धार्मिक मामलों के प्रबंधन के मौलिक अधिकारों पर असर डालते हैं.वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस क़ानून का बचाव किया.

O सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी जारी रहेगी, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने बहुत सी बातें कही हैं-

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा है कि वो इस मामले में कुछ अंतरिम आदेश पारित करने पर विचार कर रही है.
पहला ये कि अदालत ने जो भी संपत्तियां वक़्फ़ घोषित की हैं, उन्हें डिनोटिफाइ नहीं किया जाएगा.
उस प्रावधान पर भी रोक लगाने का विचार है जिसमें कहा गया है कि अगर किसी संपत्ति के सरकारी संपत्ति होने पर विवाद है, तो जब तक नामित अधिकारी विवाद का फ़ैसला नहीं कर लेता, तब तक उसे वक़्फ़ संपत्ति नहीं माना जा सकता.
कोर्ट उस प्रावधान पर भी रोक लगाने पर विचार कर रहा है, जिसमें कहा गया है कि वक़्फ़ काउंसिल और वक़्फ़ बोर्ड में दो सदस्य गैर-मुस्लिम (पदेन सदस्य के अलावा) होने चाहिए.
इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने इस क़ानून के पारित होने के बाद हुई हिंसा की भी निंदा की है. उन्होंने कहा है कि हिंसा होना ‘बेहद चिंताजनक’ है.

जस्टिस खन्ना ने कहा कि ‘वे सोचते हैं कि सिस्टम पर दबाव बना सकते हैं.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि क़ानून के सकारात्मक बिंदुओं को ज़रूर बताया जाना चाहिए.