0 कई राज्यों के सरकारी अस्पतालों में मिलावटी एंटीबायोटिक दवाइयों की सप्लाई,जिसकी टेस्टिंग में दवा की जगह मिला स्टार्च और टेलकम पाउडर
TTN Desk
महाराष्ट्र के नागपुर में सरकारी अस्पतालों को आपूर्ति की गई एंटीबायोटिक दवाओं में स्टार्च और टेलकम पाउडर मिले होने की बात सामने आई है।
यह खुलासा नागपुर पुलिस द्वारा दायर 1,200 पेज के आरोपपत्र से हुआ, जो पिछले साल उजागर नकली दवा आपूर्ति मामले से जुड़ा है।
आरोपपत्र के मुताबिक, नकली एंटीबायोटिक्स हरिद्वार स्थित पशु चिकित्सा दवाओं की प्रयोगशाला में बने थे और इनकी आपूर्ति महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और झारखंड समेत देश के कई सरकारी अस्पतालों में हुई थी।
नकली दवाओं की आपूर्ति के लिए हवाला से आया पैसा
खबरों के मुताबिक, नकली दवाइयों के लिए हवाला के पैसे का इस्तेमाल हुआ। इसका इस्तेमाल कर गिरोह चलाने वालों ने मुंबई से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर तक करोड़ों रुपये भेजे।
कौन कौन है आरोपी ?
मामले में हेमंत मुले मुख्य आरोपी है, जिसने नकली दवाइयों की आपूर्ति के लिए निविदा में भाग लिया।
उसके अलावा, मिहिर त्रिवेदी, विजय चौधरी, रॉबिन तनेजा उर्फ हिमांशु और रमन तनेजा भी गिरफ्तार हुए। मिहिर और विजय दोनों पहले से जेल में बंद हैं।
उत्तराखंड की प्रयोगशाला से अमित धीमान गिरफ्तार हुआ है।
ऐसे हुआ नकली दवाओं की आपूर्ति का खुलासा
महाराष्ट्र की खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने दिसंबर 2023 में इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज (IGGMCH) में नागपुर सिविल सर्जन के अधीन दवा भंडार से लगभग 21,600 सिप्रोफ्लोक्सासिन की गोलियां जब्त की थी। ये एक एंटीबायोटिक दवा है।
दवाओं को सरकारी प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया तो पता चला कि इनमें औषधीय गुण नहीं थे। इसके बाद IGGMCH के स्टोर में छापा मारकर पूरा माल जब्त कर लिया गया। ये संक्रमण ठीक करने वाली दवाएं 2022-2023 में सरकारी अस्पतालों में वितरित हुई थीं।