OO शंभू बॉर्डर पर शनिवार को एक किसान ने खुदकुशी की कोशिश की. मिली जानकारी के मुताबिक धरना स्थल के पास उसने सल्फास निकाल लिया, इसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। किसान लुधियाना के खन्ना का निवासी है और उसका नाम जोद सिंह है. किसान जोद सिंह शनिवार को ही मोर्चे पर पहुंचा था. यह आशंका जताई जा रही है कि किसानों को दिल्ली ना जाने देने से दुखी होकर उसने यह कदम उठाया होगा। गौरतलब है कि दोपहर 12 बजे निकले 101 किसान 2 घंटे बाद वापस लौट गए। उन्हें पुलिस ने घग्गर नदी पर बने पुल से आगे जाने नहीं दिया.
OO इस बीच किस नेता सरवन सिंह पंढेर ने मीडिया को बताया कि कि जल्द ही अगली रणनीति तैयार की जाएगी. वहीं आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद करते हुए कहा है कि उनकी जिंदगी से ज्यादा उन किसानों की जिंदगी ज़रूरी है जो लगातार मोर्चे पर डटे हुए हैं. डल्लेवाल ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि कोर्ट सरकार पर दबाव बनाए ताकि किसानों की खुदकुशी रुक सके।
TTN Desk
शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर एक्शन लिया गया है. पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे हैं. इसका वीडियो वायरल है. इसमें नजर आ रहा है कि हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया गया. किसानों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली की ओर कूच करने का ऐलान किया है.
0 क्या यह पाकिस्तान की सीमा है: बजरंग पुनिया
हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर कांग्रेस नेता और पहलवान बजरंग पुनिया मौजूद हैं. उन्होंने कहा, ”एक तरफ सरकार कह रही है कि हम किसानों को नहीं रोक रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वे आंसू गैस और अन्य चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसा व्यवहार किया जा रहा है जैसे कि यह पाकिस्तान की सीमा है. जब नेता विरोध करने के लिए दिल्ली जाते हैं, तो क्या वे अनुमति लेते हैं? किसानों को केवल अपनी फसलों के लिए एमएसपी चाहिए. हम हमेशा किसानों के समर्थन में नजर आएंगे. सरकार को अपने वादे पूरे करने चाहिए.”
O पुलिस जनता को कर रही है गुमराह : पंधेर
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, ”हम चाहते हैं कि देशभर के सभी किसान अपनी आवाज उठाएं. यदि वो ऐसा करेंगे तो आंसू गैस समेत ये सारी चीजें बंद कर दी जाएंगी. हमें दिल्ली जाने दिया जाएगा. हमारी मांगें पूरी की जाएंगी. हरियाणा पुलिस जनता को गुमराह कर रही है. 100 लोगों का पैदल चलना देश के लिए खतरनाक कैसे हो सकता है? ”