रूस-यूक्रेन शांति वार्ता: युद्ध विराम पर गतिरोध जारी, कैदियों और शवों की अदला-बदली पर सहमति

OO रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति वार्ता के प्रयासों में बार-बार गतिरोध देखने को मिल रहा है। हाल ही में तुर्की की मध्यस्थता में इस्तांबुल में दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच दूसरे दौर की प्रत्यक्ष वार्ता हुई, लेकिन पूर्ण युद्ध विराम पर कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है।

OO इस वार्ता में कुछ मानवीय मुद्दों पर दोनों पक्ष सहमत हुए हैं, जो तनाव कम करने की दिशा में एक छोटा कदम हो सकता है।यूक्रेन द्वारा कल रूस के हवाई ठिकानों पर किए गए भीषण ड्रोन हमले के बाद दुनिया भर की निगाहे पिछले तीन साल से जारी रूस यूक्रेन युद्ध पर हो रही दोनों देशों की इस शांतिवार्ता पर टिकी थी।

TTN Desk

सोमवार, 2 जून, 2025 को इस्तांबुल में हुई ताजा वार्ता में दोनों देशों के बीच लगभग एक घंटे तक चर्चा चली। इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य संघर्ष विराम की शर्तों पर चर्चा करना था, जैसा कि तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने भी बताया।जिन मुद्दों पर सहमति बनी वे इस प्रकार है :

* सैनिकों के शवों की अदला-बदली:

सबसे महत्वपूर्ण सहमति 6,000 मृत सैनिकों के शवों की अदला-बदली पर बनी है। यह एक बड़ा मानवीय कदम है, जिससे दोनों पक्षों के परिवारों को अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने का अवसर मिलेगा।

* युद्धबंदियों की अदला-बदली:

दोनों पक्ष घायल सैनिकों और 18-25 वर्ष की आयु के युवा सैनिकों सहित युद्धबंदियों की अदला-बदली पर सहमत हुए हैं। पिछली वार्ता (16 मई को) के बाद भी 1,000 बंदियों की अदला-बदली हुई थी।

* बच्चों की वापसी:

यूक्रेन ने रूस को उन बच्चों की एक आधिकारिक सूची भी सौंपी है, जिनके बारे में कहा गया है कि उन्हें जबरन निर्वासित किया गया था, और उनकी वापसी की मांग की गई है।

O जिन मुद्दों पर गतिरोध बना हुआ है उनमें पूर्ण युद्ध विराम नहीं करना सबसे बड़ा मुद्दा है।

* संपूर्ण युद्ध विराम: यूक्रेन ने बिना शर्त संपूर्ण युद्ध विराम का आह्वान किया था, लेकिन रूस ने इसे खारिज कर दिया है। रूसी पक्ष ने केवल कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में 2-3 दिनों के आंशिक युद्ध विराम की पेशकश की है, जिसे यूक्रेन ने स्वीकार नहीं किया।

O रूस की शर्तें

रूस ने तुर्की को अपनी शर्तों वाली एक सूची सौंपी है, जिसमें यूक्रेन से मार्शल लॉ समाप्त करने, चुनाव कराने, नाटो में शामिल होने का प्रस्ताव त्यागने, और रूसी भाषा को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने जैसी मांगें शामिल हैं। यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने पहले भी मॉस्को की इन मांगों को अस्वीकार कर दिया है।

O शांति वार्ता की सफलता में बाधाएं:

* मूलभूत मतभेद: युद्ध के मूलभूत कारणों और उद्देश्यों पर दोनों देशों के बीच गहरे मतभेद हैं। रूस यूक्रेन को अपने प्रभाव क्षेत्र में देखना चाहता है, जबकि यूक्रेन अपनी संप्रभुता और पश्चिमी देशों के साथ जुड़ाव बनाए रखना चाहता है।

* क्षेत्रीय नियंत्रण: युद्धग्रस्त क्षेत्रों, विशेषकर डोनबास और क्रीमिया पर नियंत्रण को लेकर कोई सहमति नहीं बन पा रही है।

* बाहरी हस्तक्षेप/समर्थन: पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को मिल रहा सैन्य और वित्तीय समर्थन युद्ध को लंबा खींच रहा है। वहीं, रूस का मानना है कि अमेरिका जैसे देश युद्ध को जारी रखने के लिए यूक्रेन को उकसा रहे हैं।

* आपसी अविश्वास: दोनों पक्षों के बीच गहरा अविश्वास है। यूक्रेन रूस के किसी भी प्रस्ताव को धोखे के रूप में देखता है, जबकि रूस यूक्रेन की पश्चिमी समर्थक नीतियों को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।

* रूस के भीतर हमले: युद्ध के लंबा खिंचने के कारण रूस के भीतर यूक्रेन के ड्रोन हमलों में वृद्धि हुई है, जिससे रूस पर भी दबाव बढ़ रहा है।

O मध्यस्थता के प्रयास

तुर्की इस युद्ध में एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है और लगातार दोनों पक्षों के बीच वार्ता आयोजित करने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा, भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों ने भी मध्यस्थता की इच्छा जताई है, और रूस ने भी भारत को एक संभावित मध्यस्थ के रूप में देखा है।

कुल मिलाकर, रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता अभी भी शुरुआती दौर में है और पूर्ण युद्ध विराम या स्थायी शांति समझौते तक पहुंचने में कई बड़ी बाधाएं हैं। हालांकि, युद्धबंदियों और शवों की अदला-बदली जैसे मानवीय मुद्दों पर हुई सहमति एक सकारात्मक संकेत है।