यह कब्रिस्तान की जमीन है, 30 दिन में खाली करें; पटना से सटे गांव में वक्फ बोर्ड का फरमान से हड़कंप

TTN Desk

बिहार की राजधानी पटना से सटे एक गांव में सुन्नी वक्फ बोर्ड के फरमान की काफी चर्चा है। दरअसल इस गांव में 90 फीसदी हिंदू रहते हैं और कई बरसों से उनका यहां घर है। लेकिन अब अचानक वक्फ बोर्ड ने कहा है कि गांव की जमीन वक्फ बोर्ड की है और गांव वाले इस जमीन को खाली कर दें।

वक्फ बोर्ड ने इस गांव में बने सात घरों की जमीन पर दावा पेश कर दिया है और कहा है कि यह कब्रिस्तान की जमीन है। इसे लेकर वक्फ बोर्ड ने पटना के डीएम के पास अपनी शिकायत की थी और अब इस गांव में एक बोर्ड लगा दिया गया है जिसमें कहा गया है कि गांव वाले इस जमीन को 30 दिनों के अंदर खाली करें।

पटना से सटे फतुहा के गोविंदपुर गांव में 90 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू रहते हैं। वक्फ बोर्ड के इस फरमान से वहां के बाशिंदे डरे हुए हैं। यहां रहने वाले हिंदुओं का दावा है कि उनकी जमीन पुश्तैनी है। उनका कहना है कि वो इसपर दशकों से रहते आए हैं और उनके पास जमीन के कागजात भी हैं। लेकिन इसके बावजूद वक्फ बोर्ड ने उन्हें जमीन खाली करने का नोटिस भेज दिया है।

गोविंदपुर गांव के एक निवासी रामलाल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इस मामले पर हाई कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि आप लोग इसके सही वारिस हैं और जमीन आपकी है। इसके बाद भी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अभी तक अपना बोर्ड नहीं हटाया है। हम डरे हुए हैं और हमें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर बोर्ड क्या रंगदारी करना चाहते हैं हमसे?

एक अन्य निवासी राजकिशोर का कहना है कि पहले भी एक बार खाली करने का फरमान जारी हुआ था कि जमीन खाली कर दें। लेकिन कोर्ट ने रोक लगा दी थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे विवाद के पीछे गांव के पिछले हिस्से में बना एक ईदगाह है। इस ईदगाह की देखभाल करने वाले फतुहा वक्फ बोर्ड के सचिव मोहम्मद हाशिम ने दावा किया है कि आजादी के बाद यह जमीन वक्फ बोर्ड को दी गई थी और उसपर कब्रिस्तान बनना है।

मीडिया से बातचीत में स्थानीय पार्षद जीतेंद्र कुमार ने कहा कि यहां के पूर्व पार्षद यहां के वक्फ बोर्ड के सचिव भी हैं। उन्होंने गोविंदपुर की आधी बस्ती को ही वक्फ बोर्ड में डाल दिया है। जबकि अभी 128 का नोटिस नहीं आया है। यहां के लोगों ने अपनी शिकायत डीएम से की थी। डीएम ने जांच के बाद यह पाया है कि यह जमीन गांव के लोगों की पुश्तैनी जमीन है और बोर्ड का दावा निराधार है। हालांकि, इसके बावजूद बोर्ड अपने दावे पर कायम है।