महाराष्ट्र चुनाव : आखिर विदर्भ से ही चुनाव प्रचार क्यों शुरू किया राहुल ने

फोटो:दीक्षा भूमि नागपुर में नमन करते राहुल

TTN Desk

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र और प्रदेश की एक तरह से उपराजधानी नागपुर से चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की। दीक्षा भूमि में बाबा साहेब आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के बाद उन्होंने ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ को संबोधित किया। राज्य विधानसभा चुनाव में प्रचार का आगाज करते हुए अपने पहले चुनावी भाषण में राहुल एक बार फिर संविधान की प्रति के साथ नजर आए जिसने साफ कर दिया कि वे लोकसभा चुनाव वाले फॉर्मूले को फिर से आजमाएंगे और विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस संविधान और आरक्षण जैसे मुद्दों पर लड़ेगी।

दीक्षाभूमि पर अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की

20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले राहुल ने ‘दीक्षाभूमि’ का दौरा किया और भारत के संविधान के मुख्य निर्माता डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। अंबेडकर ने 14 अक्तूबर, 1956 को दीक्षाभूमि पर अपने हजारों अनुयायियों, मुख्य रूप से दलितों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था।

आरक्षण खत्म हुआ तो न पब्लिक स्कूल होगी न पब्लिक हॉस्पिटल

राहुल गांधी ने कहा कि संविधान से ही सरकार की अलग-अलग संस्थाएं बनती हैं। अगर संविधान नहीं होता तो इलेक्शन कमीशन भी नहीं बनता। संविधान से हिंदुस्तान का एजुकेशन सिस्टम बना है। अगर ये हट गया तो आपको एक पब्लिक स्कूल, पब्लिक अस्पताल, पब्लिक कॉलेज नहीं मिलेगा। बीजेपी पर हमला करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि जब आरएसएस और बीजेपी के लोग संविधानपर आक्रमण करते हैं, तो वे हिंदुस्तान की आवाज़ पर आक्रमण कर रहे हैं।

चुनाव अभियान की शुरुआत हेतु इसलिए चुना राहुल ने विदर्भ को

राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में चुनाव अभियान के आगाज के लिए महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके को चुना, जहां की 35 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इस इलाके में 10 साल बाद जबर्दस्त सफलता मिली थी। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने संविधान और आरक्षण को मुद्दा बनाया था। इस कारण पार्टी को मराठा वोट के साथ मुस्लिम और दलित वोटरों का साथ मिला था। विदर्भ इलाका 2014 के बाद से ही कांग्रेस का गढ़ रहा, मगर 2014 में बीजेपी ने इस इलाके में गहरी पैठ बना ली।

विदर्भ की 15 सीटों पर बीजेपी को हुआ था नुकसान

पिछले चुनाव में बीजेपी को विदर्भ की 62 सीटों में 29 पर सफलता मिली थी मगर उसे 15 सीटों का नुकसान हुआ था। तब उसकी सहयोगी रही शिवसेना को सिर्फ चार सीट मिली थी। कांग्रेस को विदर्भ में 15 सीटें मिली थीं और उसे पांच सीटों का फायदा हुआ था। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 29 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी, जबकि उसकी सहयोगी एनसीपी (एसपी) को 5 और उद्धव सेना को 15 सीटों पर लीड मिली थी। लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार महायुति को सिर्फ 19 सीटों पर बढ़त मिलती नजर आई।