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TTN Desk
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों के बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जताई है। जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने एक घर गिराने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बुलडोजर एक्शन देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है और किसी के अपराध में शामिल होने का आरोप उसकी संपत्ति ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता। पीठ ने संबंधित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की।
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0 गुजरात के परिवार को मिली थी एक्शन की धमकी
0 परिवार ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
0 2 सितंबर को बुलडोजर कार्रवाई पर नाराजगी जताई थी
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बता दें कि इसी महीने यह दूसरा मौका है, जब सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जताई है। इससे पहले 2 सितंबर को अदालत ने कहा था कि किसी मामले में व्यक्ति दोषी भी हो, तब भी उसकी संपत्ति पर बुलडोजर की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। दरअसल, गुजरात में नगरपालिका की तरफ से एक परिवार को बुलडोजर एक्शन की धमकी दी गई थी। याचिकाकर्ता गुजरात के खेड़ा जिले के कठलाल में एक जमीन का सह-मालिक हैं। उनके खिलाफ 1 सितंबर 2024 को एक मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।
दो दशकों से रह रही हैं तीन पीढ़ियां
याचिकाकर्ता ने एफआईआर दर्ज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसके वकील ने कहा कि आरोपी के परिवार की तीन पीढ़ियां लगभग दो दशकों से उस घर में रह रही हैं। याचिकाकर्ता की दलील पर कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ अपराध को कानूनी प्रक्रिया के जरिए कोर्ट में साबित किया जाना चाहिए। जिस देश में कानून सर्वोच्च है, वहां ऐसी धमकियों को अदालत नजरअंदाज नहीं कर सकती।
भारत में कानून सबसे ऊपर
सुप्रीम कोर्ट ने नगरपालिका अधिकारियों को नोटिस जारी किया और मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। अदालत ने राज्य और नगर निगम से मामले में 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। पीठ ने कहा, भारत जैसे देश में अपराध करने पर आरोपी की संपत्ति पर बुलडोजर जैसी कार्रवाई करना अकल्पनीय हैं, क्योंकि यहां कानून सबसे ऊपर है।