बालको, वेदांता झारसुगुड़ा और लांजीगढ रिफाइनरी अब बनेगी एक लिस्टेड कंपनी

वेदांता समूह की बनेगी छह अलग अलग स्वतंत्र कंपनियां

सभी कंपनियां अपने निर्णय खुद लेंगी,विकास को मिलेगी गति

 

मनोज शर्मा l कोरबाl

अनिल अग्रवाल की अगुआई वाली वेदांता समूह ने अपने उद्योगों को स्वतंत्र छह कंपनियों में बांटने के डिमर्जर प्लान को अंतिम स्वरूप देना शुरू कर दिया है।इसके लिए उसे अपने सभी प्रमुख ऋण दाता वित्तीय संस्थानों और बैंकों से अनुमति मिल गई है।

वेदांता धातु,खनन और तेल गैस क्षेत्र की दुनिया की दिग्गज कंपनी है।एक छोटे एल्यूमिनियम कारखाने मद्रास एल्यूमिनियम के इस सदी की शुरुआत में अधिग्रहण के साथ शुरू हुई अनिल अग्रवाल के उद्योग विस्तार की यात्रा ने महज ढाई दशक में ही वैश्विक स्तर पर ऊंची उड़ान भरी है।वेदांता के आज के स्वरूप को हासिल करने के आधार में सार्वजनिक क्षेत्र की भारत एल्यूमिनियम कम्पनी (बालको) और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) का अधिग्रहण रहा है।इनको हासिल करने के बाद अनिल अग्रवाल ने सफलता की एक बड़ी इबारत लिख दी।कोई डेढ़ दो साल पहले तक वेदांता समूह कर्ज अदा करने की तय तारीखों को ले कर दबाव में थी और उसके शेयरों के दाम भी गिर रहे थे मगर अब स्थिति बदल गई है।पिछले एक वर्ष में उसके शेयर करीब 200 रुपए बढ़े है जो कि 40 प्रतिशत की वृद्धि है।शेयरधारकों के पास फिलहाल वेदांता लिमिटेड के जितने शेयर हैं, उनमें से हर शेयर पर उन्हें नई लिस्टेड कंपनियों का एक-एक शेयर अतिरिक्त रूप से मिलेगा। कंपनी ने भारत में 35 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है और हम आगे विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

 

शेयर धारकों की बैठक में ये कहा अनिल अग्रवाल ने

 

वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने हाल ही में हुई वेदांता के शेयरधारकों की 59 वीं सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपने कारोबार को अलग करने की योजना पर आगे बढ़ रहे हैं। इससे छह मजबूत कंपनियों का निर्माण होगा जिनमें से प्रत्येक अपने-आप में वेदांता होगी। इससे बड़े पैमाने पर मूल्य हासिल होगा। अग्रवाल ने कहा कि अलग होने वाली हर यूनिट अपनी योजना खुद बनाएगी, लेकिन वेदांता के मूल मूल्यों, इसकी उद्यमशीलता की भावना और वैश्विक नेतृत्व को फॉलो करेगी।हम एक अद्भुत बदलाव के मुहाने पर खड़े हैं, लिहाजा हमारा जोश चरम पर है। यह विभाजन हमारे सफर को रफ्तार देगा।

 

ये बनेंगी 6 कंपनियां

 

वेदांता ने धातु, बिजली, एल्युमीनियम और तेल और गैस कारोबार को अलग करने की घोषणा की है।जिसके तहत वेदांता एल्युमिनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता स्टील एंड फेरस मटीरियल्स, वेदांता बेस मेटल्स और वेदांता लिमिटेड बनाई जाएंगी। चेयरमैन ने कहा कि हर यूनिट को पूंजी आवंटन और उनकी वृद्धि रणनीतियों के संबंध में अधिक स्वतंत्रता होगी। इससे निवेशकों को अपनी पसंद के उद्योगों में निवेश करने की स्वतंत्रता होगी जो वेदांता परिसंपत्तियों के लिए समग्र निवेशक आधार बढ़ाने का काम करेगा। शेयरधारकों के पास फिलहाल वेदांता लिमिटेड के जितने शेयर हैं, उनमें से हर शेयर पर उन्हें नई लिस्टेड कंपनियों का एक-एक शेयर अतिरिक्त रूप से मिलेगा।

 

छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में है बड़ा दांव

 

बालको के 2001 में अधिग्रहण के बाद से ही समूह का खास फोकस छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में रहा है।उड़ीसा में बॉक्साइट की प्रचुरता के कारण जहां झारसुगुड़ा में वेदांता एल्यूमिनियम,कैप्टिव पावर प्लांट और लांजीगढ़ में एलुमिना रिफाइनरी स्थापित की वही छत्तीसगढ़ में बालको का विस्तार किया गया।जांजगीर जिला में एथेना पावर प्लांट का अधिग्रहण भी किया बालको एल्यूमिनियम प्लांट की क्षमता बढ़ा कर 10 लाख टन सालाना किए जाने की विस्तार योजना पर काम चल रहा है वहीं पहले 540 और बाद में 1200 मेगावाट का पावर प्लांट भी यहां बनाया गया,जिसमे से 600 मेगावाट कैप्टिव और 600 मेगावाट का स्वतंत्र प्लांट है। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बालको,झारसुगुड़ा और लांजीगढ़ नई बनने वाली वेदांता एल्यूमिनियम के तहत होंगी वहीं पंजाब का तलवंडी साबो, छत्तीसगढ़ में अधिग्रहित एथेना और आईपीपी प्लांट वेदांता पॉवर का हिस्सा होंगे। इसी वित्तीय वर्ष में ये कंपनियां स्वतंत्र रूप से काम करने लगेंगी।