बालको विशेष:राष्ट्र विकास,औद्योगिक समृद्धि के साथ एकजुटता की सांस्कृतिक धरोहर को दृढ़ता देने की अद्वितीय मिसाल है बालको

फोटो:पांच दशक पहले और इस वर्ष राम मंदिर से निकली श्री जगन्नाथ रथ यात्रा का

O पांच दशक में जहां एल्यूमिनियम उत्पादन और रोजगार में वृद्धि वहीं सांप्रदायिक सद्भावना का बेमिसाल उदाहरण बना बालको

O छत्तीसगढ़ की कला,लोकसंस्कृति,साहित्य का संरक्षण और क्रीड़ा क्षेत्र को बढ़ाने में दिया अतुलनीय योगदान

कोरबाl मनोज शर्मा l

भारत एल्यूमिनियम कंपनी (बालको) देश की प्रमुख एल्यूमिनियम उत्पादक है।सार्वजनिक क्षेत्र के विकास के लिए भारत सरकार ने 1965 में बालको की स्थापना की।निर्माण के विभिन्न चरणों में 1973 में एल्यूमिना प्लांट की शुरुआत हुई ,तब तक स्मेल्टर नहीं बना था सो पहली बार 1974 में सोवियत रूस को 8000 टन एल्यूमिना निर्यात किया गया जो उस दौर की देश में एक बड़ी उपलब्धि थी।

0 तब चार चरण में हुआ स्मेल्टर का निर्माण

निर्माण के चार चरण में प्रत्येक में 25 ,25 हजार टन क्षमता के स्मेल्टर को बनाया गया यूं बालको की कुल एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता तब एक लाख टन की हुई।1975 में बने पहले चरण के स्मेल्टर से 25 हजार टन एल्यूमिनियम धातु बनी। यहां बने *भारततल* इंगोट को जापान निर्यात किया गया।एल्यूमिनियम को व्यावसायिक उत्पाद का रूप देने के लिए 1976 ने प्रॉपरजी रोड,1978 में बिलेट,1979 में एक्ट्रूशन,1980 में स्लैब रोलिंग प्रोडक्ट यूनिट की स्थापना और संचालन शुरू हुआ।यूं विभिन्न स्वरूप में एल्यूमिनियम उत्पाद बनने लगे।हालांकि स्थापना और उत्पादन शुरू होने के अगले तीन दशक तक उत्पादन क्षमता स्थिर ही बनी रही।फिर आया 2001 और केंद्र सरकार की नीति के तहत बालकों का भी विनिवेश हुआ।

0 विनिवेश के बाद मिली विकास और विस्तार को नई उड़ान

तब की स्टरलाइट और अब वेदांता समूह के पास इसके 51 प्रतिशत शेयर के साथ संचालन,प्रबंधन नियंत्रण का अधिकार भी आया।यही से बालको ने सफलता की एक बड़ी उपलब्धि की और कदम बढ़ा दिए ।सबसे खास बात यह रही कि बालको की कार्य संस्कृति के आधार में जो सामाजिक,सांप्रदायिक एकता और सौहाद्र का मूल आधार था वो और भी मजबूत हुआ।प्रबंधन ने भी उसे मजबूत करने में कभी कोई कोर कसर नहीं रखी।बालको की स्थापना के समय ये एक ऐसा बीहड़ वनांचल था जहां कोई दिन में भी आने में डरता था।यूं आज जो बालकोनगर और आसपास के क्षेत्र का विकास दिखता है वो बालको की ही देन है।

0सर्वांगीण विकास का मार्ग हुआ प्रशस्त

एक खास बात यह रही कि बालको प्रबंधन ने क्षेत्र के आधारभूत ढांचे जिसमे सड़क,बिजली,पेयजल,टाऊन शिप,हॉस्पिटल,स्कूल,बाजार,स्टेडियम की स्थापना तो की ही किंतु साथ ही साथ विविधता में एकता की भारत की मूल भावना को सुदृढ़ करने का भी कार्य किया।फिर वो सभी प्रमुख धर्मों के आस्था स्थल का निर्माण में योगदान हो या फिर आध्यात्मिक,धार्मिक उत्सव,लोककला,साहित्य, संस्कृति से जुड़े आयोजनों में हिस्सेदारी से बालको कभी पीछे नहीं हटा।इसका लाभ एक आदर्श और मजबूत नई पीढ़ी के निर्माण में बालको परिवार के साथ निकटस्थ ग्रामों को भी मिला।

0 विविधता में एकता का उत्कृष्ट उदाहरण है बालको

सभी समुदाय के धार्मिक स्थल विविधता के साथ ही कंपनी द्वारा एकजुटता की भावना बनाएं रखने के प्रयास को दर्शाते हैं। 1975 में स्थापित राम मंदिर धार्मिक स्थलों में से एक है, जो समय के साथ त्योहार और पूजा-अर्चना के केंद्र के रूप में विकसित हुआ। इसी तरह 1973 में स्थापित बालको गोसिया मस्जिद लंबे समय से टाउनशिप के मुस्लिम समुदाय के लिए इबादतगाह का प्रमुख स्थान है, जहां लोग नमाज एवं विभिन्न सामुदायिक कार्यों के लिए एकजुट होते हैं। 1976 में स्थापित सेंट विंसेंट पल्लोटी चर्च अपने छोटे स्वरूप से ईसाई समुदाय के लिए मुख्य प्रार्थना स्थल बना। जहां ईसाई समुदाय के लोग प्रार्थना के लिए इकट्ठा होते हैं। 1975 में स्थापित गुरुद्वारा गुरु सेवक सभा में सिख समुदाय के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर गुरुवाणी एवं शबद कीर्तन तथा लंगर का आयोजन करते हैं। आजतक, ये पवित्र स्थान बालकोनगर के सांप्रदायिक सौहार्द के ताने-बाने को बनाए हुए हैं।

0 राम मंदिर समिति द्वारा पांच दशक से प्रज्वलित है आध्यात्मिक धार्मिक ज्योति:शर्मा

राम मंदिर समिति के प्रमुख एवं बालको के सेवानिवृत्त कर्मचारी सुधीर शर्मा कहते हैं कि राम मंदिर लगभग पाँच दशकों से बालकोनगर के धार्मिक आयोजन का केंद्र रहा है। मंदिर में आयोजित राम नवमी, भागवत कथा तथा विभिन्न उत्सव लोगों को एक साथ लाते हैं। मंदिर में ‘राम अयोध्या पूजा’ के पावन अवसर पर लगभग 30,000 लोग दर्शन करने आए।

0 आस्था और एकता का केंद्र:विल्सन

1980 में बालको के फाउंड्री में काम करने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारी और चर्च के एक वरिष्ट सदस्य विल्सन मिंज ने अपने अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि मैंने चर्च को एक छोटे संरचना से इमारत में तब्दिल होते हुए देखा है जो बालको और समुदाय के समर्थन से संभव हुआ। आज हमारा चर्च आस्था और एकता के साथ हम सभी के लिए प्रार्थना का पवित्र स्थल है।

भाईचारा की मजबूत आधारशिला:नौशाद अली

बालको एसआरएस विभाग में कार्यरत कर्मचारी नौशाद अली गोसिया मस्जिद का देखभाल करते हैं। उन्होंने बताया कि मस्जिद समुदायों के बीच भाईचारा की मजबूत आधारशिला है। हम सभी त्योहार मनाने के लिए यहां इकट्ठा होते हैं। यह वास्तव में हमारी एकजुटता की भावना का प्रतीक है जो हमें नेकी की राह पर लेकर जाता है।

0 शांति और मेलजोल का उदाहरण है हमारा बालको: तूर

गुरुद्वारा से जुड़े बालको के कर्मचारी तजिंदर सिंह तूर ने कहा कि गुरुद्वारा 1970 के दशक से ही शांति और आपसी मेल-जोल का स्थान रहा है, जो बालको के निरंतर समर्थन से संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि गुरु पर्व, त्यौहार एवं लंगर के दौरान लोगों का एकता और साझा उद्देश्य के लिए एक साथ आते देखना प्रेरणादायक है।

ये पूजा स्थल विविधता में एकता के प्रतीक हैं। समुदाय के साथ ही कंपनी के प्रयास से विभिन्न धर्मों के कर्मचारी, निवासी और उनके परिवार के लोग एकजुट होते हैं। बालको ने सामूहिकता की भावना को बढ़ावा दिया। जहां सभी परंपराओं का जश्न साथ मिलकर मनाया जाता है। कंपनी ने सामुदायिक भलाई के साथ ही अपनी आद्यौगिक यात्रा का भी अनूठा उदाहरण पेश किया है।

0 सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है बालको टाउनशिप

बालको ने 1970 में एक आवासीय टाउनशिप को विकसित किया जिसमें सभी सामुदायिक सुविधाएँ उपलब्ध थीं। 1980 तक समृद्ध टाउनशिप विकसित किए गए, जिसमें स्कूल एवं बाज़ार शामिल थे। इसके साथ ही 1975 में 30 बिस्तर वाला अस्पताल बना। बालको ने सभी समुदायों के लिए पूजा स्थल बनवाएं, जिनमें मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च आदि शामिल थे।