कोरबा । काम की तलाश में मजदूरों और किसानों का दूसरे प्रदेशों या शहरों की ओर पलायन देश भर में बड़ी समस्या है। बालको संयंत्र के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही थी। बालको प्रबंधन ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों की मदद से समस्याओं का विश्लेषण किया और सामुदायिक विकास कार्यक्रम के अंतर्गत स्वावलंबन एवं आजीविका उपार्जन की दिशा में ऐसी अनेक परियोजनाएं प्रारंभ कीं जिनसे बड़ी संख्या में युवाओं, महिलाओं और किसानों को लाभ हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक कृषि प्रोत्साहन का परिणाम यह हुआ है कि सिंचाई सुविधाएं विकसित हुई हैं। खेती की नई तकनीकों से परिचित होकर किसान आर्थिक रूप से मजबूत बन रहे हैं।
ग्राम बेला के कोमल भगत किसान के साथ ही एक दिहाड़ी मजदूर हैं। बालको की कृषि प्रोत्साहन परियोजना ‘जलग्राम’ के क्रियान्वयन से पहले उनके गांव में सिंचाई की सुविधाएं नहीं थीं। वे खेती की नई तकनीकांे से भी परिचित नहीं थे। इस कारण वे अपने खेतों में सिर्फ धान की फसल ही ले पाते थे। बाकी समय वे आजीविका के लिए दूसरे शहरों की ओर पलायन कर जाते थे। जब उन्हें पता चला कि बालको की ओर से ग्राम बेला में सिंचाई सुविधाओं के विकास की दिशा में काम किया जा रहा है और किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है तब वे दूसरे शहर से अपने गांव लौट आए। बालको की योजनाओं से परिचित होकर कोमल ने पहले वर्ष अपने एक एकड़ खेत में पारंपरिक पद्धति से खेती की। इसी दौरान बालको के सामुदायिक विकास विभाग के माध्यम से उन्हें शासन की विभिन्न योजनाओं से परिचित होने का अवसर मिला। बालको ने उन्हें ड्रिप प्रणाली की स्थापना, खेत की बाड़बंदी में मदद के साथ ही अनेक नए उपकरणों के माध्यम से खेती का प्रशिक्षण दिया। कोमल बताते हैं कि अब वे अपने तीन एकड़ खेत में आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं। इस वर्ष गर्मी के मौसम में उन्होंने लगभग डेढ़ लाख रुपए के तरबूज बेचे। इसके अलावा खेती से वे प्रतिमाह लगभग 25000 रुपए की आमदनी अर्जित कर रहे हैं।
ग्राम दोंदरो के 21 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर अविनाश कुमार बताते हैं कि बालको की कृषि प्रोत्साहन परियोजना ‘उन्नति’ से प्रेरित होकर उन्होंने गांव में ही ज़मीन अधिया में लेकर खेती की शुरूआत की। बालको ने उन्हें प्रशिक्षण और उच्च गुणवत्ता के बीज प्रदान किए। आज अविनाश सब्जियों से प्रतिमाह 15000 रुपए तक कमा लेते हैं। बालको और नाबार्ड की ओर से स्थापित वेदांता एग्रीकल्चर रिसोर्स सेंटर ने उन्हें सब्जियों की नई किस्में उगाने की प्रेरणा दी है। पिछले वर्ष पहली बार उन्होंने अपने खेत में गेहूं बोकर लाभ कमाया। अविनाश कहते हैं कि कुछ नया करने की इच्छा ही जीवन में आगे ले जाती है। बालको ने किसानों की मदद की दिशा में नया आयाम बनाया है।
किसानों को हो रहे लाभ को देखते हुए ग्राम चुईया में बालको और नाबार्ड ने एग्रीकल्चर इनपुट सेंटर नव किसान कृषि सेवा केंद्र की शुरूआत की है। किसानों के संगठन नव किसान बहुउद्देशीय सहकारी समिति मर्यादित, भटगांव की ओर से संचालित केंद्र से 10 गांवों के 500 से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। केंद्र के माध्यम से किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज, उर्वरक और कीटनाशक न्यूनतम कीमत पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि सेवा केंद्र की शुरुआत पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा कि किसानांे को बालको की मदद से आधुनिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया है। गांव में कृषि सेवा केंद्र के संचालन से किसानों की शहरों पर निर्भरता कम हो जाएगी। केंद्र के जरिए उन्हें शासन की कृषि संबंधी अनेक योजनाओं की जानकारी भी मिलेगी जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ेगी। उन्होंने किसानों का आह्वान किया है कि वे बालको-नाबार्ड संचालित परियोजना का भरपूर लाभ उठाएं