TTN Desk
आज रविवार को दो रेल हादसों की खबर आई।विशाखापटनम के प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर सुबह कोरबा से पहुंची लिंक एक्सप्रेस के एसी कोच में आग लग गई जो तीन कोच तक फैल गई।यह तो अच्छा हुआ कि स्टेशन पर पहुंचने के कुछ देर बाद ये हादसा हुआ सो कोई जनहानि नहीं हुई यदि ये आग कुछ समय पहले चलती ट्रेन में लगती तो बड़ा नुकसान होता।दूसरा हादसा यूपी के सहारनपुर में पैसेंजर ट्रेन के दो डिब्बों के बेपटरी हो जाने से हुआ ।शुक्र है कि इसमें भी कोई जान माल का नुकसान यात्रियों का नहीं हुआ।पिछले दो महीनों में ही कोई दो दर्जन रेल हादसे हुए है।
भारतीय जनता की जान ट्रेन के सफर में कितनी सुरक्षित और आसान है ये विश्वास बार बार हो रही रेल दुर्घटना से डगमगा गया है. किसी ट्रेन में सफर करते हुए वो हादसे का शिकार न हो जाए ,अब जनता को ये डर सताने लगा है. तीन दिन पहले झारखंड रेल हादसे में 2 लोगों की मौत हो गई तो वहीं 20 से ज्यादा लोग जखमी हुए हैं. पिछले कुछ दिनों में रेल दुर्घटनाओं की खबरें बढ़ी हैं. हर दो महीने में लगभग 2 पैसेंजर ट्रेन और एक मालगाड़ी के पटरी से उतरने की खबरें सामने आ रही हैं. पिछले 6 हफ्तों में रेल हादसों में 17 लोग अपनी जान गवां चुके हैं.
रेल मंत्री तुलना कर बता रहे हादसे पहले से कम हुए
केंद्रिय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा संसद में एक सवाल के दिए गए जवाब के मुताबिक, रेल हादसों में पिछले कुछ सालों में गिरावट आई है. साल 2000-01 के बीच ट्रेन दुर्घटनाएं 473 से घटकर 40 हो गईं. वहीं साल 2004 से 2014 के बीच 1711 रेल दुर्घटनाएं हुईं. इस दौरान हर वर्ष औसतन 171 रेल हादसे हुए. वहीं साल 2014-24 के दौरान 678 रेल हादसे हुए. यानी हर साल औसतन 68 रेल हादसे. रेल मंत्री के मुताबिक पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर पर दुर्घटनाओं में कमी आई है.
ऐसे तो कई दशक लग जायेंगे सुरक्षा कवच लगाने में
रेलवे ने पिछले कुछ सालों में सुरक्षा के लिए खास कदम उठाए हैं. भारत में रेलवे द्वारा कुल 6,191 किमी ट्रैक फेंसिंग लगाई गई है. इसके अलावा पटरियों की बाड़ भी लगाई गई है. इसके अलावा भी रेलवे द्वारा सुरक्षा के लिहाज से कुछ कार्य किए गए हैं. हालांकि पिछले कुछ समय से लगातार ट्रेनें हादसों का शिकार हो रही हैं.
बता दें भारतीय रेलवे को अबकी बार रेल कवच के लिए करीब 1100 करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं. दावा किया जा रहा है कि सभी रूट पर रेल कवच के लिए जरूरत 45 हजार करोड़ से ज्यादा की है. वहीं विपक्ष का कहना है कि हर रूट पर ट्रेन को टक्कर से बचाने के लिए लगने वाले कवच को कई दशक लग जाएंगे.