TTN Desk
मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 150 पुलिस अधिकारियों ने सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन की तलाशी ली
कोयंबटूर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में 150 पुलिस अधिकारियों की एक बटालियन ने मंगलवार को थोंडामुथुर में ईशा फाउंडेशन के आश्रम में मंगलवार की शाम तलाशी अभियान शुरू किया। यह कार्रवाई मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर रिपोर्ट मांगे जाने के एक दिन बाद की गई।
पुलिस द्वारा की गई तलाशी में तीन डीएसपी भी शामिल हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अभियान में वहां रह रहे लोगों की गहन जांच और फाउंडेशन के कमरों की तलाशी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए ईशा योग केंद्र ने कहा कि जो कुछ हो रहा था, वह केवल एक जांच थी। बयान में कहा गया, “अदालत के आदेश के अनुसार, एसपी सहित पुलिस सामान्य जांच के लिए ईशा योग केंद्र आई है। वे निवासियों और स्वयंसेवकों से पूछताछ कर रहे हैं, उनकी जीवनशैली को समझ रहे हैं, यह समझ रहे हैं कि वे कैसे आते हैं और कैसे रहते हैं, आदि।”
दरअसल, कोयंबटूर में तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ याचिका लगाई है। उनका आरोप है कि उनकी दो बेटियों- गीता कामराज उर्फ मां माथी (42 साल) और लता कामराज उर्फ मां मायू (39 साल) को ईशा योग सेंटर में कैद में रखा गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ईशा फाउंडेशन ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं। उनकी बेटियों को कुछ खाना और दवा दी जा रही है, जिससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके परिवारों से उनका संपर्क सीमित कर रहा है।
बेटियों ने किया पिता के आरोपों का खण्डन
हालांकि, बेटियों ने खुद अपने पिता के दावों का खंडन किया है और जोर देकर कहा है कि आश्रम में रहने का उनका फैसला स्वेच्छा से लिया गया था। वहीं ईशा फांउडेशन ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि ये व्यक्ति का स्वयं का फैसला होता है। हमारे आश्रम में संन्यासी बनने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जाता है क्योंकि हमारे आश्रम में विवाहित और संन्यासी दोनों ही रहते हैं।
ईशा फाउंडेशन पर लगे इन गंभीर आरोपों को किया उजागर
बता दें याचिकाकर्ता के वकील ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पिछले कई आपराधिक आरोपों की ओर कोर्ट का ध्यान दिलाया। जिसमें यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत फाउंडेशन से जुड़े एक डॉक्टर से जुड़ा एक हालिया मामला भी शामिल है। इन आरोपों के बावजूद, फाउंडेशन के वकील ने वयस्कों के अपने आध्यात्मिक विकल्प चुनने के अधिकार के लिए तर्क दिया।
कोर्ट ने मांगी है आश्रम का आपराधिक रिकार्ड
अदालत ने फाउंडेशन के खिलाफ सभी लंबित आपराधिक मामलों पर विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है, जो 4 अक्टूबर तक जमा होनी चाहिए, जो फाउंडेशन की गतिविधियों और उसके अनुयायियों पर इसके प्रभाव की गहन जांच का संकेत देती है