TTN Desk
सीबीआई ने एनडीटीवी के पूर्व प्रमोटर एडिटर प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय के खिलाफ धोखाधड़ी की प्राथमिकी में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
यह घटना अडानी द्वारा एनडीटीवी के अधिग्रहण के लगभग दो वर्ष बाद घटित हुई है।
सीबीआई ने मंगलवार को एनडीटीवी के पूर्व प्रमोटरों और निदेशकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ कथित धोखाधड़ी के मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की , क्योंकि उसे 2009 में एक ऋण के निपटान में आईसीआईसीआई बैंक को हुए 48 करोड़ रुपये के नुकसान में कानूनी रूप से पुख्ता सबूत नहीं मिले ।
सीबीआई ने यह क्लोजर रिपोर्ट अडानी के एनडीटीवी पर कब्जा हासिल करने के लगभग दो साल बाद दाखिल की है।
सीबीआई ने क्वांटम सिक्योरिटीज लिमिटेड के संजय दत्त नामक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर 2017 में एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि रॉय से जुड़ी आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड ने सार्वजनिक खुली पेशकश के जरिए एनडीटीवी में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए इंडिया बुल्स प्राइवेट लिमिटेड से 500 करोड़ रुपये का ऋण लिया था।
एफआईआर के अनुसार, आरआरपीआर होल्डिंग्स ने इंडिया बुल्स से ऋण चुकाने के लिए आईसीआईसीआई बैंक से 19 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर पर 375 करोड़ रुपये का ऋण भी लिया।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि रॉय दंपत्ति ने इस ऋण के लिए अपनी पूरी शेयरधारिता को गिरवी रख दिया, तथा इस गिरवी के बारे में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, स्टॉक एक्सचेंजों या सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सूचित नहीं किया।
अगस्त 2019 में प्रणय रॉय और राधिका रॉय को देश छोड़ने से मना किया। इसका आधार सीबीआई मामले के संबंध में जारी एक लुकआउट सर्कुलर था। कुछ दिनों बाद, सीबीआई ने एक प्राथमिकी दर्ज की जिसमें रॉय पर एफडीआई नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।
जून 2019 में सेबी ने रॉय को दो साल की अवधि के लिए चैनल में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद लेने से रोक दिया था। बाद में प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी।