जानिए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना क्यों नहीं सुनेंगे चुनाव आयोग से जुड़ा केस… खुद को सुनवाई से कर लिया अलग

TTN Desk

चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना ने मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 की धारा 7 और 8 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। Also Read – अनुकंपा नियुक्तियां केवल सरकारी कर्मचारियों के रिश्तेदारों के लिए, विधायकों के लिए नहीं: सुप्रीम कोर्ट याचिकाओं को 6 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है। खंडपीठ ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से भी अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। नए कानून के माध्यम से, भारत के चीफ़ जस्टिस को मुख्य चुनाव आयुक्त (और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक समिति से हटा दिया गया था। उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता वाली समिति की सिफारिश के आधार पर की जानी है।

2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि CEC और EC की नियुक्ति तीन सदस्यीय पैनल की तरफ से की जाएगी। इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होंगे।

सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने यह फैसला सुनाया था। इसमें CJI संजीव खन्ना भी शामिल थे, तब वे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस थे। हालांकि 21 दिसंबर 2023 को सरकार ने एक नया विधेयक पारित किया, जिसमें चीफ जस्टिस को पैनल से हटा दिया गया और उनकी जगह एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया। इसे प्रधानमंत्री चुनेंगे।

केंद्र सरकार के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने याचिका दायर की है। इस विवाद के बावजूद केंद्र ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया था।