छत्तीसगढ़ टीकाकरण : टीके का वितरण हुआ और जटिल, सचिवों ने 4 अनुपात में बाटा

रायपुर। राज्य में एक तरफ जहा नए केसेज आने में थोड़ी कमी हुई है और डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग से बोझ थोड़ा कम हुआ है वही दूसरी तरफ टीकाकरण में नित नए नियमो ने उनका सिर दर्द और बढ़ा दिया है। अब प्रदेश में टीकाकरण को 4 वर्गो में बाटा गया है। कल चर्चा थी की सभी वर्ग के लोगो में समान 3 हिस्सों में बाट कर टीकाकरण का काम गति से किया जाएगा आज सरकार ने ऐलान किया है कि अब लोगो को 4 वर्गो में वर्गीकृत किया जाएगा।

वर्गीकरण कुछ इस प्रकार होगा : 

वर्क फोर्स + गंभीर बीमारी से पीड़ित = 20%

गरीबी रेखा के नीचे = 52%

अंत्योदय = 16%

गरीबी रेखा के ऊपर = 12%

(वर्क फोर्स में सरकारी कर्मचारी, पत्रकार, गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति और कामगारों को शमिल करने की बात कही है।)

इससे संबंधित आदेश जल्द ही पारित किए जाएंगे।

वर्गीकरण पन्नो पर आसान, ग्राउंड लेवल पर मुश्किल

सरकार का कम मात्रा में वैक्सीन के डोज उपलब्ध होने के कारण वर्गीकरण का फैसला कागज़ पर तो सही जान पड़ता है लेकिन अलग अलग वैक्सीनेशन सेंटर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इसके तहत टीकाकरण करना कितना कारगर होगा यह कह पाना बहुत मुश्किल है।

जिनकी आबादी सबसे अधिक टीकाकरण केंद्र में उनकी संख्या सबसे कम

इस तरह के वर्गीकरण की सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि अंत्योदय और बीपीएल कार्ड धारकों को ज्यादा मात्रा में टीके आबंटित तो किए गए हैं और उनकी आबादी भी राज्य में सबसे ज्यादा है  लेकिन देखा यह जा रहा है की सूचना के अभाव और अनेक भ्रांतियों के उत्पन्न होने से उनमें एक भय की स्थिति बनी हुई है और वे टीके नहीं लगवाना चाहते। वही एपीएल कार्ड धारक सुबह से लाइन में खड़े होने के बावजूद टीके नहीं लगवा पा रहे। अगर टीके का आबंटन घर घर किया जाना होता तो वर्गीकरण के हिसाब से घरों को चिन्हित कर आबंटन विभिन्न वर्गो में प्रतिशत के हिसाब से किया जा सकता था। लेकिन वैक्सीनेशन विभिन्न सेंटरों में आयोजित किए जा रहे हैं और पहुंचने वाले लोगो को 4 वर्गो में वर्गीकृत कर बराबर मात्रा में टीकाकरण करना स्वास्थ्य विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है।

नाम गोपनीय रखने की शर्त पर एक अधिकारी ने जानकारी साझा की कि राज्य 45 से 60 वर्षो के लोगो के टीककरण में बहुत अच्छा काम कर रहा था। अगर इसी तरह आयु वर्ग को सीधा 18 वर्ष ना कर के 45 से 35 और फिर आगे और कम करते हुए टीकाकरण किया जाता तो यह ज्यादा अच्छी तरह से संपादित हो सकता था। लेकिन इस तरह से स्वास्थ्य विभाग में असमंजस और लोगो मे हताशा की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना ज्यादा है।