नई दिल्ली। देश में कोरोना से हर तरफ हाहाकार मची हुई है। पिछले दो दिनों में देश में 4 लाख के पार नए मरीजों की पहचान की गई है। आंकड़े डराने वाले हैं और लॉकडाउन लगाने के बावजूद स्थिति बद से बद्तर होती जा रही है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों की माने तो लॉकडाउन से केवल Corona के फैलने की गति को धीमा किया जा सकता है उससे निजात नहीं पाया जा सकता। इसके लिए एकमात्र उपाय वैक्सिनेशन ही है।
देश में भी 1 मई से 18 वर्ष से 44 वर्ष के आयु सीमा के लोगो के वैक्सीनेशन का फेस शुरू हो चुका है लेकिन चूंकि इस आयु सीमा में देश भर में लगभग 59 करोड़ की आबादी आती है इतनी मात्रा में एक साथ वैक्सीन बना के देश के हर कोने में पहुंचाना बहुत बड़ी चुनौती है। वो भी तब जब यह काम सिर्फ दो कंपनियों पर निर्भर हो।
सीरम इंस्टीट्यूट के आदर पूनावाला पहले ही इस बात को साफ कर चुके हैं कि लोगो को समझना होगा कि सभी को एक साथ वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो सकती। लेकिन भारत का कानून केंद्र सरकार को शक्तियां प्रदान करता है की वे अगर चाहे तो कुछ बदलाव कर के वैक्सीन के प्रोडक्शन को बढ़ा सकता है।
Patent act 1970, Section 100
पेटेंट एक्ट के अनुसार फिलहाल वैक्सीन का निर्माण और विक्रय का अधिकार सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक के पास है। और वे पुरजोर तरीके से वैक्सीन के उत्पादन में लगे भी हुए हैं लेकिन जिस तरह से दूसरी लहर में Corona विस्फोट हुआ है ये गति इतनी नही है की युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन किया जा सके।
लेकिन यही एक्ट का सेक्शन 100 देश की सरकार को यह शक्ति प्रदान करता है की वह चाहे तो पेटेंट के अधिकार अपने या अपने द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति या संस्था को देश हित देखते हुए सुपुर्द कर सकता है।
आसान भाषा में कहे तो जहा अभी सिर्फ दो कंपनियां ही वैक्सीन का निर्माण कर रही है पेटेंट का अधिकार सार्वजनिक करने पर दूसरी बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनियां भी इन्ही वैक्सीन का निर्माण कर सकती है। जिससे कम से कम समय में अधिक मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध होंगे और वैक्सीनेशन के तीसरे चरण को गति मिलेगी।
महामारी के इस दौर में चतुर, कर्मठ दूरदर्शी और राष्ट्रवादी मोदी सरकार से इतनी अपेक्षा करना क्या बेईमानी है?