TTN News Desk
हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने और भागने के लिए मजबूर होने के तीन दिन बाद बांग्लादेश के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस ने गुरुवार को देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली।
छात्र प्रदर्शनकारियों ने इस भूमिका के लिए 84 वर्षीय यूनुस की सिफारिश की थी और वह गुरुवार को पेरिस से ढाका लौटे, जहां उनका इलाज चल रहा था।
भावुक यूनुस ने हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से कहा, “देश में एक बहुत सुंदर राष्ट्र बनने की संभावना है।” “हमारे छात्र हमें जो भी रास्ता दिखाएंगे, हम उस पर आगे बढ़ेंगे।” यूनुस अंतरिम सरकार में मुख्य सलाहकार होंगे जिन्हें 170 मिलियन लोगों के दक्षिण एशियाई देश में नए सिरे से चुनाव कराने का काम सौंपा गया।
लोगों को यूं निकाला गरीबी से बाहर
मोहम्मद यूनुस को 1970 के दशक में माइक्रोफ़ाइनेंस के अग्रणी के रूप में जाना जाने लगा और इससे देश के सबसे ग़रीब लोगों को ग़रीबी से बाहर निकालने में मदद मिली.
यूनुस को इन सबकी प्रेरणा चटगांव यूनिवर्सिटी के नज़दीक एक ग़रीब गांव की यात्रा करने से मिली.
दस दस डॉलर उधार दे शुरू किया अभियान
उन्होंने कई दर्जन ग्रामीणों को शुरुआत में दस डॉलर उधार दिए. यूनुस ने इस दौरान उन छोटे उद्यमियों को उधार दिए जिन्हें बैंक आमतौर पर पैसे नहीं देते थे.
1980 के दशक के शुरुआती सालों में प्रोफ़ेसर यूनुस सफल रहे और बाद में ग्रामीण बैंक की स्थापना हुई. इस बैंक में सदस्य के तौर पर हज़ारों लोग जुड़े.
बैंक ने बांग्लादेश में लाभदायक और गैर लाभकारी दोनों तरह के प्रोजेक्ट शुरू किए. इसमें कपड़े से लेकर मोबाइल और ब्रॉडबैंड सेवा तक शामिल थी.
2006 में मिला नोबेल शांति पुरस्कार
इसके बाद यूनुस ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्हें उनके काम के लिए 2006 में नोबेल पुरस्कार मिला. यूनुस के इस मॉडल को कई विकासशील देशों ने अपनाया.
गरीबों का खून चूस रहे का आरोप लगाया हसीना ने
साल 2008 में सत्ता में आने वाली शेख़ हसीना ने यूनुस पर आरोप लगाया कि वो अपनी व्यापारिक गतिविधियों से ग़रीब लोगों का ‘खून चूस रहे हैं.’
यूनुस के ख़िलाफ़ कई मामलों को लेकर जांच करवाई, लेकिन उनके समर्थकों ने कहा कि ये सब राजनीतिक बदले की भावना के तहत हो रहा है.
संयुक्त राष्ट्र संघ खड़ा हुआ पक्ष में
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र संघ ने बांग्लादेश में शेख़ हसीना के राजनीतिक विरोधी लोगों के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर सरकार की निंदा की.
यूएन हाई कमीशन फॉर ह्यूमन राइट्स की प्रवक्ता रवीना शामदासानी ने कहा, “हम नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस सहित अन्य मानवाधिकार एडवोकेट को मिल रही निरंतर धमकी और उत्पीड़न से काफ़ी चिंतित हैं.”
फिर भी नहीं रुका सिलसिला
इसके बाद भी ये नहीं थमा और बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में चैरिटेबल दान पर प्रोफेसर यूनुस को एक मिलियन डॉलर से ज़्यादा टैक्स देने का आदेश दिया.
फिर जनवरी में यूनुस सहित ग्रामीण बैंक के अन्य तीन कर्मचारियों को श्रम क़ानूनों के उल्लंघन करने के मामले में छह महीने जेल की सज़ा सुनाई गई थी. चारों ने आरोपों से इनकार किया और अपील लंबित रहने तक सभी को ज़मानत मिली हुई है.