नई दिल्ली (एजेंसी)। कोरोना वायरस महामारी की वजह से सभी क्षेत्रों में नुकसान हुआ है। नौकरीपेशा लोगों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। एक ओर जहां करोड़ों लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, वहीं दूसरी ओर जो लोग नौकरी कर रहे हैं, उनके वेतन में कटौती की जा रही है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से अब तक 1.89 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने यानी जुलाई में कराब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है। आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में बेरोजगारी का यह आंकड़ा 1.77 करो? और मई में करीब एक लाख है। वहीं जून में करीब 39 लाख लोगों को नौकरी मिली।
इस संदर्भ में सीएमआईई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) महेश व्यास ने कहा कि, ‘वेतनभोगियों की नौकरियां जल्दी नहीं जाती, लेकिन जब जाती है, तो दोबारा पाना बहुत मुश्किल होता है, इसलिए ये हमारे लिए चिंता का विषय है। वेतनभोगी नौकरियां 2019-20 के औसत से लगभग 1.90 करोड़ कम हैं। एक अनुमानों के अनुसार, भारत में कुल रोजगार में वेतनभोगी रोजगार का हिस्सा सिर्फ 21 फीसदी है। अप्रैल में जितने लोग बेरोजगार हुए, उनमें इनकी संख्या केवल 15 फीसदी थी। इतना ही नहीं, कोरोना काल में कई क्षेत्रों की कंपनियों ने कर्मचारियों के वेतन में भी कटौती की। वहीं कई कर्मचारियों को बिना भुगतान के छुट्टी पर भेज दिया गया। ऐसे में उद्योग सरकार को समर्थन देने का अनुरोध कर रहे हैं।