किसी अधिकारी ने बीसीसीएल के दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री के पैरों से उतारे जूते, तो किसी ने पायजामे का नाड़ा भी बांधा, कांग्रेस ने कसा तंज

धनबाद । धनबाद में कोयला केंद्रीय राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे रविवार को धनबाद दौरे पर थे. मंत्री बीसीसीएल की विभिन्न कोल परियोजनाओं का जायजा लेने पहुंचे थे. इसी क्रम में मंत्री मुनिडीह अंडर ग्राउंड माइंस का जायजा लेने भी गए. अंडर ग्राउंड से बाहर आने के बाद वह मुनिडीह जीएम कार्यालय के वेटिंग रूम में पहुंचे. जहां महाप्रबंधक (GM) अरिंदम मुस्तफी ने खुद केंद्रीय राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे का जूता उतारा. मंत्री के पैरों से जूता उतारने के बाद अपने हाथों से उसे दूसरे को ले जाने के लिए दिया.

इस दौरान मंत्री के पैजामा का नाड़ा भी ढीला था. जिसके बाद खुद बीसीसीएल के अधिकारी ने मंत्री के पैजामा के नाड़े को बांधा. मंत्री के इस हरकत का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग इस कृत्य के लिए मंत्री की क्लास लगा रहे हैं. साथ ही लोगों ने जीएम पर भी सवाल उठाया है.उधर बीसीसीएल प्रबंधन का कहना है कि ये भ्रम फैला कर दुष्प्रचार है।दरअसल भूमिगत खदान में जाने के पहले गम बूट,सेल्टी लाइट पहननी होती है।सुरक्षा नियमों के मुताबिक मंत्री जी ने भी ये किया।सेफ्टी लाइट का बेल्ट कमर में बांधने और गम बूट उतार कर अलग रखते समय उनकी मदद की गई वो तो किसी भी वीआईपी अतिथि के साथ होता है।

कांग्रेस नेता का जीएम और मंत्री पर तंज

मामले में कांग्रेस जिला अध्यक्ष संतोष सिंह ने बीसीसीएल अधिकारी की इस कार्यशैली पर तंज कसा है.उन्होंने कहा कि मंत्री का जूता अगर एक जीएम उनके पैरों से निकालें तो यह डूब मरने वाली बात है. मंत्री भी जूता उतरवा रहें हैं. उन्होंने कहा कि जीएम साहब ने सीएमडी बनने वाला काम किया है. जीएम साहब को फौरन बीसीसीएल का सीएमडी बना देना चाहिए.

कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने कहा कि बीसीसीएल के ऐसे ही अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं. अपनी कमियों को छिपाने के लिए ऐसे अधिकारी मंत्री के चाकरी में लगे रहते हैं. साथ ही कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने मंत्री के बयान पर भी सवाल उठाया है. जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार बिजली का पैसा नहीं देती है. जिस कारण लोगों को बिजली सही तरीके से नहीं मिल रही है.

रॉयल्टी नहीं देने का लगाया आरोप

कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड बनने के बाद बीजेपी की सरकार झारखंड में रही. उनके द्वारा ही बिजली बिल बकाया रखा गया. केंद्र सरकार झारखंड में खनन का कार्य करती है. लेकिन रॉयल्टी नहीं देती है. आखिर केंद्र सरकार रॉयल्टी क्यों नहीं देती?