TTN Desk
यूपी के बदायूं में जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महादेव मंदिर मामले में अब 10 दिसंबर को सुनवाई होगी. आज यानि मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन वो टल गई. इससे पहले 30 नवंबर को मामले में सुनवाई हुई थी. हिंदू पक्ष ने बदायूं की शम्सी जामा मस्जिद पर नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया है. जबकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कभी मंदिर या मूर्ति होने का कोई सबूत नहीं है.
O इंतजामिया कमिटी ने रखा है पक्ष
30 नवंबर को भी इंतजामिया कमेटी ने अपना पक्ष रखा था. दरअसल, हिंदू पक्ष ने बदायूं की शम्सी जामा मस्जिद पर नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया है. इस मामले को लेकर जमकर राजनीति भी हो रही है. बदायूं के इस मामले की सुनवाई के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया है.
O क्या है हिंदू पक्ष का दावा
एक ओर हिंदू पक्ष का दावा है कि नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है. जबकि, इसके उलट मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कभी मंदिर या मूर्ति होने का कोई सबूत नहीं है. मुस्लिम पक्ष की मानें तो सूफी विचारक बादशाह शमशुद्दीन अल्तमश जब बदायूं आए थे, तब उन्होंने यहां पर अल्लाह की इबादत करने के लिए मस्जिद बनवाई थी. यहां पर कभी मंदिर या मूर्ति होने का कोई सबूत नहीं है. इसको लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, वो झूठ है और हकीकत के खिलाफ हैं.
30 नवंबर को दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार ने मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई की तिथि तीन दिसंबर निर्धारित की थी.
O ओवैसी ने भी किया था ट्वीट
बदायूं विवाद को लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी X पर ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा- आने वाली नस्लों को ‘AI’ की पढ़ाई के बजाए ‘ASI’ की खुदाई में व्यस्त कर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि यूपी की बदायूं की जामा मस्जिद को निशाना बनाया गया है.
O संभल में सर्वे के दौरान हुई थी हिंसा
ऐसा ही एक और विवाद संभल में भी चल रहा है. यहां हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया है कि संभल की जामा मस्जिद, मंदिर तोड़कर बनाई गई है. कोर्ट के आदेश के बाद जब सर्वे करने के लिए टीम पहुंची तो वहां हंगामा हो गया और उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. जिसके बाद हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस की ओर से फायरिंग तक की गई. इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हुई थी.