बिलासपुर 4 मई 2021। हाई कोर्ट ने टीकाकरण में आरक्षण लागू करने पर सख्त एतराज जताया है। प्रदेश में टीकाकरण में आरक्षण लगाने को लेकर प्रस्तुत हस्तक्षेप याचिकाओं पर मंगलवार को हाई कोर्ट की युगलपीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट ने शासन को स्पष्ट किया है कि टीकाकरण में इस तरह का भेदभाव जायज नहीं है। हाई कोर्ट ने टीकाकरण को लेकर शासन को दो दिन में नीति बनाने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा, बीमारी अमीर और गरीब देखकर नहीं हो रही है। इसलिए वैक्सीन भी इस नजरिए से नहीं लगाई जा सकती है।
हाईकोर्ट ने कहा कि अपर मुख्य सचिव का यह आदेश ही गलत है। कोर्ट ने इस मामले में पॉलिसी बनाने के लिए दो दिन का समय दिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मीणा और जस्टिस पीपी साहू की डबल बेंच में हुई।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने राज्य शासन द्वारा टीकाकरण में आरक्षण लागू करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने हाई कोर्ट में लंबित जनहित याचिका पर इसे हस्तक्षेप याचिका मानकर सुनवाई करने का आग्रह किया है। इसी तरह टीकाकरण में आरक्षण को लेकर अलग-अलग पांच से अधिक हस्तक्षेप याचिकाएं दायर हुई है, जिस पर मंगलवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की बेंच में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई हुई।
इस दौरान हस्तक्षेप याचिकाककर्ता किशोर भादुड़ी सहित अन्य अधिवक्ताओं ने टीकाकरण को लेकर शासन द्वारा आरक्षण लागू किए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी टीकाकरण को लेकर प्राथमिकताएं तय की है। लेकिन, उसमें आरक्षण जैसी स्थिति नहीं है। शासन ने प्रदेश की जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है। सभी ने शासन के इस आदेश को तत्काल निरस्त करने व नई नीति बनाने की मांग की।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने शासन का पक्ष रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने शासन को दो दिन के भीतर टीकाकरण को लेकर स्पष्ट नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही टीकाकरण को लेकर लागू किए गए आरक्षण पर एतराज जताया है। करीब दो घंटे तक हाई कोर्ट में इस प्रकरण में आनलाइन बहस चली। इस मामले में हाई कोर्ट का अधिकारिक आदेश शाम तक जारी हो सकता है।
छत्तीसगढ़ सरकार के इस फैसले से युवाओं में लगातार रोष बना हुआ था। इसी मामले को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई और आज हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए मामले पर छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया ।
इस निर्णय से बर्बाद हो रही वैक्सीन, यह अन्य लोगों के साथ दुराचार
अधिवक्ताओं ने कहा कि इस निर्णय से बड़ी संख्या में वैक्सीन बर्बाद हो रही है, जो दूसरे व्यक्तियों को लग सकती है। यह करना अन्य लोगों के साथ दुराचार की तरह है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लिए यह अच्छा होगा कि सहायता केंद्र खोले। इन केंद्रों पर गरीब तबके के व्यक्ति, जिसके पास मोबाइल और इंटरनेट नहीं है वहां जाकर अपना रजिस्ट्रेशन और वैक्सीन लगवा सकें। अधिवक्ता ने कहा कि आपदा नियंत्रण अधिनियम में कहीं भी किसी वर्ग को संरक्षित करने का उल्लेख नहीं है।
जूनियर जोगी ने हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने छत्तीसगढ़ सरकार के 30 अप्रेल के टीकाकरण अभियान के आरक्षण लागू करने के निर्णय को चुनौती देते हुए अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी थी।
याचिका में अमित जोगी ने दलील दी थी कि छत्तीसगढ़ सरकार का टीकाकरण में आरक्षण लागू करने का निर्णय असंवैधानिक और अनैतिक होने के साथ-साथ ग़ैर-वैज्ञानिक भी है। टीके की खुराक पहले उन लोगों को लगना चाहिए जिनके संक्रमित होने की अधिक सम्भावना है, भले ही वे किसी भी वर्ग या जाति के क्यों न हों। इस बात का निर्णय अस्पताल में विशेषज्ञ-डॉक्टर ही ले सकते हैं न कि वातानुकूलित कमरों में बैठे ग़ैर-विशेषज्ञ नेता।
याचिका में अमित जोगी ने कहा था कि भारत के संविधान के अंतर्गत किसी भी शासक को यह तय करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता कि कौन जिये और कौन मरे। टीकाकरण का आधार आरक्षण की जगह विज्ञान होना