हाथरस केस: मृत युवती के परिजन पुलिस की एसआईटी की जांच से असंतुष्ट, कहा- छुपाई गई है दुष्कर्म की बात

 

हाथरस (एजेंसी)। उत्तर प्रदेश के साथ देश को बेहद चर्चा में लाने वाले बूलगढ़ी कांड में मृतका के स्वजन दो दिन बाद पुलिस के पहरे से बाहर आ गए। इसके बाद उन्होंने एसआइटी जांच से अपनी असंतुष्टि जताई है। परिवार का आरोप है कि एसआईटी ने आरोपियों से हाथ मिला लिया है और सीबीआई जांच की मांग को भी खारिज कर दिया गया। मृतका के भाई ने नार्को टेस्ट से मना किया है। उनका कहना है हम झूठ नहीं बोल रहे हैं।

मृतका के स्वजन व पिता ने पुलिस की नजर बंदी से मुक्त होने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति नाराजगी जताई। उनका कहना हैं कि उन्हेंं घर में नजर बंद क्यों रखा गया। वह एसआइटी की टीम से संतुष्ट नहीं हैं। भाई का आरोप हैं कि पुलिस ने उनके मोबाइलों को स्विच आफ करा दिया था। पत्रकारों से बात करते हुए पीडि़त परिवार ने इस मामले की जांच सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) की निगरानी में कराए जाने की मांग की है।

पीडि़ता की मां का कहना है कि वह पुलिस से भीख मांगती रही कि उनकी मौजूदगी के बिना बेटी का अंतिम संस्कार न किया जाए, लेकिन अधिकारियों ने किसी की एक ना सुनी। पीड़िता की मां ने कहा कि हमारा नार्को टेस्ट नहीं हुआ है, हम नहीं जानते कि यह क्या है। हमने अपना बयान कभी नहीं बदला। पीड़िता के परिजनों ने कहा कि डीएम और एसपी को नार्को टेस्ट कराना चाहिए क्योंकि झूठ बोल रहे हैं। मृत युवती की भाभी व बहन ने बताया कि पहले दिन तो पुलिस घर में ही थी, रात होने के बाद भी यहां से गई नहीं। तब उन्होंने आपत्ति जताई कि वह अपने घर में कहां सोएं कहां बैठे, कहां खाएं। इसके बाद कमरे से पुलिस बाहर तो आ गई लेकिन घर के बाहर व छतों पर तैनात रहीं।

0 आखिरी बार बेटी का मुंह भी नहीं दिखाया, पता नहीं किसका शव जलाया

हाथरस की पीड़िता की मां ने कहा कि आखिरी बार बेटी का मुंह भी नहीं देखने दिया, हमें तो यह भी पता नहीं कि पुलिस ने किसका शव जलाया। हम किसकी हड्डियां लाए हैं। डीएम साहब ने हमें काफी धमकाया। कहा कि तुम्हारी बेटी कोरोना से मर जाती तब क्या करते। पीड़िता की भाभी ने कहा कि पुलिस ने हमसे मारपीट की। इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए। हम यही चाहते हैं कि जांच ठीक से हो।