संस्कृति की रक्षा न की तो होंगे हालात चिंताजनक :आचार्य अतुल कृष्ण, ठंडूराम परिवार के भागवत आयोजन में उद्योग मंत्री लखनलाल सहित विशिष्ठजन ने किया कथा रसपान

कोरबा। ठण्डु राम परिवार (कादमा वाले) के द्वारा मेहर वाटिका में आयोजित हो रही कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि भागवत कथा मनुष्य को भगवत बना देती है। श्रीमद् भागवत कथा में ही ऐसी शक्ति है जो भटके हुए को रास्ता दिखाती है, बिगड़े हुए को सुधार देती है और दुष्टों का उद्धार कर देती है। गीता ज्ञान है, ज्ञान कैसा होने चाहिए, यह बातें भगवान ने भागवत में बताई हैं।
आज की कथा में कपिल देव मुनि संवाद, ध्रुव चरित्र, शिव-सती प्रसंग का वर्णन किया गया। श्री भारद्वाज ने कहा कि जब बुद्धि भगवान में लग जाए अथवा भगवान बुध्दि का वरण कर ले, तो समझ लें कि मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति हो गई है, क्योंकि यह बुद्धि ही है जो मनुष्य के विचारों एवं आचार को अपने आदेश पर चलाती है और मन के आदेश को मानती है। यदि बुद्धि भगवान में लग गई तो फिर उसमें ऐसे विचार आएंगे ही नहीं जिसमें किसी का अहित या नुकसान हो। जो भगवान के सामने रोते हैं उसे संसार के सामने नहीं रोना पड़ता और भगवान अपने भक्तों के लिए दौड़े चले आते हैं और उन्हें अपने पास रख लेते हैं। जिसे पूरी दुनिया में जाकर भी शांति नहीं मिलती, उसे भगवान के गोद में आकर शान्ति मिल जाती है। श्री भारद्वाज ने बताया कि भगवान ने अपने विराट स्वरूप का दर्शन केवल एक बार और एक ही को दिखाया है, वह भी महाभारत के युद्ध में अर्जुन को दिखाया है। इसके अलावा उन्होने किसी को भी अपने विराट स्वरूप के दर्शन नहीं दिए।

0 जीवन का व्यवहार भी सत्य पर चलता है

कथा व्यास ने कहा कि भगवान के अपने धाम लौटने के साथ ही कलयुग प्रारम्भ हो गया और कलयुग ने अपने अत्याचार करने शुरू कर दिए। कलयुग ने बैल रूपी धर्म को मारा तो धर्म के तीन पैर टूट गए, लेकिन सत्य पर जो पैर था, वह नहीं टूटा और सत्य आज भी स्थापित है। जीवन का व्यवहार भी सत्य पर ही चलता है। उन्होने कहा है कि लोगों ने धर्म की परिभाष ही बदल डाली है। धर्म के चार स्तम्भ तप, सत्य, दया एवं पवित्रता हैं। कलयुग में मनुष्य से ना तो तप हो सकता है और ना ही भगवान की तरह दयालु हो सकता है। रही पवित्रता की बात तो वह भी जा रही है। केवल सत्य ही है, जो पहले भी स्थापित था और आज भी स्थापित है और कल भी रहेगा।

0 देश की संस्कृति बिगड़ रही, हालात चिंताजनक होंगे

आचार्य अतुल कृष्ण ने कहा कि हमारे देश की संस्कृति का जो हाल है, उसके बिगड़ने का कारण दृष्टि, मन, मोबाईल, टीवी, फिल्म जैसे अनेक साधन सहज उपलब्ध हैं। आने वाले समय में इसके और भी दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे। आज से 100 वर्ष पहले की संस्कृति क्या थी? आज अखबारों के प्रत्येक पृष्ठों पर अपराध की खबरें हैं। क्या आज से 20 वर्ष पूर्व ऐसी हालत थी? आज पूरे समाज में प्रत्येक कमों में मिलावट आ गयी है, जिसका प्रतिशत 2 से 3 है, लेकिन आने वाले समय में यह और भी बढ़ेगी, उस समय में देश की हालत कैसी होगी ? मनुष्य के जीवन से जप तप, पवित्रता, दया और सत्यता नहीं रह गई हो तो हालत तो बिगड़ेंगे ही।

0 सत्ता जिस माध्यम से आती है, उसी से प्रमाणित होती है

उन्होंने कहा कि यथा राजा तथा प्रजा है। पहले सत्ता तलवार से प्राप्त होती थी और आज सत्ता वोटों से प्राप्त होती है। यह अच्छी बात है क्योंकि तलवार से प्राप्त की गई सत्ता हिंसा से मिलती थी और वोटों से प्राप्त की गई सत्ता हिंसा विहीन है अर्थात जिस प्रकार से सत्ता मिलती है, उसी से प्रमाणित होती है। कथा व्यास ने संगीतमय कथा एवं भजनों के माध्यम से भक्तजनों को भाव विभोर किया।

0 श्रम मंत्री, पूर्व महापौर ने भी लिया आशीर्वाद

कथा में आज प्रदेश के उद्योग, वाणिज्य एवं श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने शामिल होकर कथा श्रवण करते हुए आचार्यश्री का आशीर्वाद लिया। उन्होंने इस आयोजन की सराहना करते हुए ठण्डु राम परिवार को साधुवाद दिया। मंत्री श्री देवांगन के साथ प्रफुल्ल तिवारी, नरेंद्र देवांगन, नरेंद्र पाटनवार परविंदर सिंह, राकेश नागरमल अग्रवाल ने भी आशीर्वाद लिया। पूर्व महापौर श्रीमति रेणु अग्रवाल, चेम्बर ऑफ कॉमर्स बालको के अध्यक्ष सुमेर डालमिया, अग्रवाल सभा अध्यक्ष राजेन्द्र अग्रवाल ने भी पहुंच कर कथा श्रवण किया। इस अवसर पर आयोजक परिवार ने विशिष्टजनों का स्वागत किया।