वन नेशन, वन इलेक्शन : अखिलेश का बीजेपी से सवाल… ‘आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव क्यों नहीं हुआ’

केंद्र सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ‘एक देश, एक चुनाव’ की सिफारिशों को मंजूरी दे दी गई है.

सरकार की तरफ से सिफारिशों की मंजूरी देने के बाद से राजनीतिक बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘एक देश, एक चुनाव’ पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है, “लगे हाथ महाराष्ट्र, झारखंड और यूपी के उपचुनाव भी घोषित करवा देते.”

साथ ही उन्होंने बीजेपी से सवाल किया है कि पार्टी ने अब तक अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव क्यों नहीं कराया.

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कई सवालों को उठाया है-

– अगर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ सिद्धांत के रूप में है तो कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के सभी ग्राम, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार?

– ⁠भाजपा जब बीच में किसी राज्य की चयनित सरकार गिरवाएगी तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे?

– ⁠किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या जनता की चुनी सरकार को वापस आने के लिए अगले आम चुनावों तक का इंतज़ार करना पड़ेगा या फिर पूरे देश में फिर से चुनाव होगा?

– इसको लागू करने के लिए जो संवैधानिक संशोधन करने होंगे उनकी कोई समयसीमा निर्धारित की गई है या ये भी महिला आरक्षण की तरह भविष्य के ठंडे बस्ते में डालने के लिए उछाला गया एक जुमला भर है?

– ⁠कहीं ये योजना चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की तो नहीं है? ऐसी आशंका इसलिए जन्म ले रही है क्योंकि कल को सरकार ये कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए उसके पास मानवीय व अन्य ज़रूरी संसाधन ही नहीं हैं. इसीलिए हम चुनाव कराने का काम भी (अपने लोगों को) ठेके पर दे रहे हैं.

– जनता का सुझाव है कि भाजपा सबसे पहले अपनी पार्टी के अंदर ज़िले-नगर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के चुनावों को एक साथ करके दिखाए फिर पूरे देश की बात करे.

– ⁠ चलते-चलते जनता यह भी पूछ रही है कि आपके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है, जबकि सुना तो ये है कि वहाँ तो ‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’ ही चलती है. कहीं कमज़ोर हो चुकी भाजपा में अब ‘टू पर्सन्स, टू ओपिनियन्स’ का झगड़ा तो नहीं है.