भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में नए आयाम स्थापित किए हैं। सामुदायिक विकास के अंतर्गत अनेक प्रशिक्षण एवं कौशल उन्नयन कार्यक्रमों और स्व सहायता समूहों के गठन के जरिए बालको ने अपने संयंत्र के आसपास रहने वाली महिलाओं के स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त किया है। बालको संचालित ‘दिशा परियोजना’ के जरिए बालको संयंत्र के समीप स्थित ग्राम दोंदरो की राजकुमारी ने अपने जीवन में रचनात्मकता के नए रंग भरे हैं। परियोजना से लाभान्वित होकर आज वह हर वर्ष लगभग 50 हजार रुपए कमा लेती हैं।
लगभग पांच वर्ष पूर्व बालको ने ग्राम दोंदरो में स्थानीय जन प्रतिनिधियों की मदद से ‘दिशा परियोजना’ के अंतर्गत नारी शक्ति केंद्र की आधारशिला रखी। इसी केंद्र में 20 वर्षीय राजकुमारी ने लगभग 80 अन्य महिलाआंे के साथ दो महीने का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के बाद राजकुमारी ने अपने स्वतंत्र व्यवसाय की दिशा में कदम बढ़ाया। हालांकि राजकुमारी के घर का वातावरण ऐसा नहीं था जिसमें वह किसी रचनात्मक व्यवसाय के जरिए अपने पैरों पर खड़ा होने और परिवार की आर्थिक मदद के बारे में सोच सके। ऐसे में बालको के सामुदायिक विकास विभाग की ओर से मिले प्रोत्साहन से राजकुमारी ने एक से बढ़कर एक म्यूरल आर्ट तैयार किए। कलाकृतियों की उत्कृष्टता को देखकर बालको प्रबंधन ने प्रोत्साहन स्वरूप राजकुमारी की कृतियों की खरीद की। इसके साथ ही राजकुमारी की कलाकृतियों के अनेक स्टाॅल विभिन्न अवसरों पर लगाए गए जहां कलाप्रेमियों ने उसकी कलाकृतियों को हाथों-हाथ लिया। राजकुमारी का हौसला बढ़ता गया और उसने स्वतंत्र तौर पर कोरबा के विभिन्न मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया।
इतना ही नहीं, बालको के प्रोत्साहन से राजकुमारी ने कक्षा 10वीं में छूटी अपनी अधूरी पढ़ाई नारी शक्ति केंद्र की मदद से पूरी की। उसने वर्ष 2017 में पत्राचार के जरिए कक्षा 12वीं उत्तीर्ण की। म्यूरल आर्ट को मिले प्रतिसाद और कला प्रेमियों की हौसला अफजाई को देखते हुए राजकुमारी पूरे गर्व के साथ बताती हैं कि आज वह अपने परिवार की आर्थिक रूप से मदद कर पाने में सक्षम हैं। एक छोटा भाई है जो पुलिस में जाना चाहता है। इस बात की खुशी है कि भाई को आगे बढ़ाने में वह योगदान कर पा रही हैं। बालको के प्रति आभार जताते हुए राजकुमारी कहती हैं कि अपने नाम के अनुरुप ‘नारी शक्ति केंद्र’ उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। महिलाआंे और बच्चों की प्रगति से ही देश सशक्त बन सकता है। राजकुमारी से प्रेरित होकर दूसरी महिलाएं भी इसे अपनी आजीविका के स्रोत के तौर पर विकसित कर रही हैं।
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री अभिजीत पति कहते हैं कि स्वस्थ व खुशहाल नौनिहाल और स्वावलंबी महिलाएं किसी भी देश की सतत प्रगति का आधार हैं। महिला सशक्तिकरण परियोजनाओं ने बालको के पासपास रहने वाली महिलाओं के स्वावलंबन के नए रास्ते तैयार किए हैं। स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने महिलाओं को प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़ने की दिशा में प्रोत्साहित किया है। यह प्रसन्नता की बात है कि महिलाएं सिलाई-कढ़ाई, मशरूम एवं सब्जियों के उत्पादन जैसे कार्यों से जुड़कर आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं। श्री पति ने अपने संदेश में यह भी कहा है कि कोरोना संबंधी दिशानिर्देशों का पालन कर हम स्वयं तथा परिवार को स्वस्थ बनाए रखें। श्री पति विश्वास जताते हैं कि एकजुटता और अनुशासन से देश के लोग जल्दी ही इस चुनौती पर विजय पा लेंगे।
दिशा परियोजना पर एक नजर – कोरबा जिला प्रशासन के सहयोग से संचालित परियोजना का क्रियान्वयन स्वयंसेवी संगठन ‘स्त्रोत’ ने किया है। परियोजना का उद्देश्य ग्राम दोंदरो में स्वास्थ्य और पोषण संबंधी मानकों की मजबूती तथा महिलाआंे, बच्चों, किशोरों और युवाओं को प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए जागरूक बनाना है। परियोजना के अंतर्गत 0 से 6 वर्ष के बच्चों के सर्वांगीण विकास तथा शिक्षा के प्रति महिलाओं और बच्चों को जागरूक बनाने में मदद मिल रही है।
नारी शक्ति केंद्र से लगभग 100 महिलाएं सिलाई का प्रशिक्षण ले चुकी हैं। नौ महिला स्व सहायता समूहों का गठन किया गया है। पढ़ाई छोड़ चुके ग्रामीण बच्चों को पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए विद्यार्थियों को निःशुल्क ट्यूशन देने की व्यवस्था की गई है। नारी शक्ति केंद्र में म्यूरल आर्ट, कंप्यूटर, ब्यूटी पार्लर आदि के प्रशिक्षण की सुविधाएं हैं। लाइब्रेरी संचालित है जिसका लाभ जरूरतमंदों को मिलता है। केंद्र में बाल स्वास्थ्य शिविर, किशोरी बालिका प्रशिक्षण, स्वस्थ्य शिशु प्रतियोगिता, मातृत्व बैठक खेलकूद प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है।
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