देखें तस्वीरें बैग पॉलिटिक्स की : प्रियंका को किस बीजेपी सांसद ने दिया करारा जवाब,जानिए इस महिला सांसद के बारे में

OO संसद में पहली बार सांसद बन कदम रखने वाली कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी की बैग पॉलिटिक्स ने खासी सुर्खियां बटोरी।पर उन्होंने नहीं सोचा होगा कि उनकी इस बैग पॉलिटिक्स का जवाब बीजेपी की सांसद भी उन्हें खून सा रंगा l 1984 लिखा एक बैग भेंट कर देंगी।प्रियंका की दादी इंदिरा गांधी की सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दिए जाने के बाद प्रियंका के पिता राजीव गांधी पीएम बने थे,और इन भीषण दंगों के दौरान राजीव गांधी की ही सरकार केंद्र में थी। अब

आइए पहले जानते है कि क्या है ये बैग पॉलिटिक्स और फिर बताते है कौन है उड़ीसा की ये महिला सांसद जिन्होंने प्रियंका को बैग का जवाब बैग से दिया….

TTN Desk

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इस बार ‘बैग पॉलिटिक्स’ की भी जमकर चर्चा हुई। एक तरफ सत्तापक्ष संविधान और इमर्जेंसी पर चर्चा करने में मशगूल रहा तो दूसरी तरफ पहली बार लोकसभा पहुंचीं प्रियंका गांधी अपने अलग अंदाज से हैरान कर रही थीं। एक दिन वह फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर संसद पहुंचीं तो अगले दिन बांग्लादेश लिखा हुआ बैग लेकर पहुंच गईं। जानकारों ने कहा कि हिंदू और मुस्लिम दोनों को साधने के लिए प्रियंका गांधी ने अपने बैग से ही बड़ा संदेश दे दिया। इसी तरह से एक दिन प्रियंका मोदी अदानी के क्रिएचर छपा बैग भी कंधे पर लटका कर आई थी।वहीं इस सिलसिले में बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने 1984 लिखा हुआ बैग प्रियंका गांधी को दे दिया। इस बैग में 1984 को खून से रंगा गया दिखाया गया है। बीजेपी सांसद ने बैग देकर सिख विरोधी दंगों की याद दिलाने की कोशिश की है। गौर करने वाली बात यह है कि प्रियंका गांधी ने यह बैग ले भी लिया।

O कांग्रेस की करतूत याद दिलाने दिया खून के छींटों वाला बैग : अपराजिता

अपराजिता सारंगी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, कांग्रेस की सार्थकता का सवाल है। कांग्रेस को बार-बार देश की जनता ने नकारा है। उन्होंने कहा कि अमित शाह के भाषण को तोड़ मरोड़कर जनता को दिग्भ्रमित करने के अलावा कांग्रेस के पास कोई बात नहीं बची है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की
करतूतों की याद दिलाने के लिए यह बैग दिया गया है। इसमें खून की छीटें भी हैं।

O सारंगी ने 2018 में लिया था वीआरएस,2019 में बनी पहली बार सांसद

ओडिशा के भुवनेश्वर से बीजेपी की लोकसभा सांसद अपराजिता सारंगी पूर्व में IAS अधिकारी रही हैं। 2019 में भुवनेश्वर से चुनाव जीतकर सारंगी पहली बार लोकसभा पहुंची थीं। इससे पहले केंद्र सरकार की ग्रामीण विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत थीं। लेकिन 2018 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने के बाद बीजेपी में शामिल हो गईं।

O 1994 बैच की आईएएस,बिहार की मूल निवासी

1994 बैच की IAS अधिकारी अपराजिता सारंगी मूल रूप से बिहार के भागलपुर की रहने वाली हैं। सारंगी के पिता अजीत मिश्रा भागलपुर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे। भागलपुर से ही पढ़ाई-लिखाई के बाद साल 1994 में अपने प्रथम प्रयास में ही यूपीएससी परीक्षा पास करके आईएएस अधिकारी बनीं। इस दौरान उनको ओडिशा कैडर मिला। ओडिशा में काम के दौरान ही 1994 बैच के ही अधिकारी संतोष सारंगी से विवाह कर लिया।

O भुवनेश्वर की रह चुकी हैं कमिश्वर,अनेक जिलों की कलेक्टर भी रही

ओडिशा में IAS रहने के दौरान सारंगी 1998 से 2006 तक नुआपाड़ा, कोरापुट, बरगढ़ समेत कई जिलों में बतौर जिलाधिकारी रहीं। इसके बाद सारंगी को 2006 में ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार ने भुवनेश्वर नगर निगम का कमिश्नर बनाया। इसी दौरान उन्होंने कई अमूल-चूल काम किए जिसको लेकर सारंगी चर्चा में आ गईं। बताया जाता है कि कमिश्वर रहते हुए सारंगी ने शहर का कायापलट कर दिया। साल 2013 में सारंगी को केंद्र सरकार में बुला लिया गया। जहां सारंगी को ग्रामीण विभाग में संयुक्त सचिव बनाया गया।

O मोदी के पहले कार्यकाल में निभाई नौकरशाह की जिम्मेदारी

प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में ग्रामीण विकास विभाग में संयुक्त सचिव और मनरेगा की जिम्मेदारी के तौर पर अपराजिता सारंगी ने काम किया। इस दौरान उन्होंने देश के 25 राज्यों के कुल 450 जिलों का दौरा किया। दौरा करते हुए सारंगी को मंत्रालय और सरकार की ओर से खूब प्रशंसा मिली। धीरे-धीरे सारंगी पीएम मोदी के पसंदीदा बन गईं। इसी वजह से साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सारंगी को भुवनेश्वर से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया।