छत्तीसगढ़:रिश्तेदारों ने मांगे एक लाख या जमीन…लाचार पत्नी ने दी पति को मुखाग्नि

कोरिया। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के करजी गांव में पत्नी ने पति को मुखाग्नि दी। कोई संतान न होने एवं परिवार के सदस्यों की मांग के अनुरूप रूपए व जमीन न दे पाने की वजह से पत्नी ने अंतिम संस्कार के साथ साथ सारे क्रियाकर्म स्वयं ही करने का निर्णय लिया है।

कैंसर था,इलाज में पहले ही हुआ खर्च

मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत करजी निवासी कतवारी लाल राजवाड़े 47 वर्ष अपनी पत्नी के श्यामपति के साथ रहता था जो 2 वर्ष से मुंह के कैंसर से पिड़ित था, करीब 6 महिने से स्थिति काफी अधिक दयनिय हो गई थी हिस्से में मिली कुछ जमीन को उसकी पत्नी श्यामपती द्वारा बेचकर ईलाज कराया गया लेकिन कतवारी लाल राजवाड़े की जान नहीं बची सोमवार रात में कतवारी लाल राजवाड़े का निधन हो गया लेकिन मंगलवार 5 नवम्बर को सुबह उसकी पत्नी और गांव के ग्रामिणों के बीच समस्या उत्पन्न हो गई कि अंतिम संस्कार में मुखाग्नि कौन देगा और हिन्दु रीती रिवाज के हिसाब से क्रिया कर्म कौन करेगा, क्योंकि मृतक कतवारी लाल राजवाड़े और उसकी पत्नी की शादी के 25 वर्ष बीतने के बाद भी कोई संतान नहीं है।

15 हजार देने तैयार भी थी मगर मांगे एक लाख या जमीन

बताया जा रहा है कि ग्रामीणों व राजवाड़े समाज के लोगों ने मृतक कतवारी के बड़े पिताजी के लड़के को मुखाग्नि देने एवं क्रिया कर्म करने की सलाह दी लेकिन वह इसके बदले एक लाख रूपये या 5 डिस्मील जमीन की मांग करने लगा किंतु मृतक की पत्नी ने कहा कि उनके पास महज 15 से 20 डिस्मील जमीन जीवन यापन करने के लिए है उसमें से वह 5 डिस्मील जमीन दे देगी तो जीवन यापन कैसे करेगी। वह 15 हजार रूपए देने के लिए तैयार थी लेकिन वह नहीं माना तब अंत में मृतक कतवारी लाल राजवाड़े की पत्नी श्यामपति राजवाड़े ने स्वयं मुखाग्नि देने एवं समस्त क्रिया कर्म करने का फैसला लिया और अपने पति के अर्थी को कांधा देकर मुक्तिधाम पहुंची और मुखाग्नि दी।

जिसने देखा वो हो गया भावुक

पति की अर्थी को कंधा देकर मुक्तिधाम ले जाते एवं अंतिम संस्कार में मुखाग्नि देते हुए देखने वालों की भीड़ गांव के सड़कों के किनारे और मुक्तिधाम में लग गई थी और जिसने भी यह मंजर देखा सभी के आंखों से आंसू आ गए।

क्षेत्र में पहले नहीं हुआ ऐसा कभी

ग्राम पंचायत करजी के पूर्व उप सरपंच चेतमणी दास वैष्णव ने कहा कि इस तरह का मामला पटना क्षेत्र में पहली बार दिखा जहां एक महिला ने अपने पति की चिता को अग्नि दी व सम्पूर्ण क्रिया कर्म करने का फैसला लेकर क्रिया कर्म कर रही है। जिससे क्षेत्र के अन्य महिलाओं को भी सीख लेनी चाहिए कि अगर ठान लें तो कोई कार्य ऐसा नहीं है जिसे महिला न कर सके।