“केरवा के पात पर…” छठ गीतों से गूंज रहा ऊर्जाधानी का कोना-कोना, भगवान भास्कर को अर्घ्य देने छठ घाटों पर उमड़े श्रद्धालु

कोरबा। लोक आस्था के महापर्व छठ का आज गुरुवार को तीसरा दिन है। आज पूरे कोरबा में श्रद्धालुओं ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। कोरबा के अनेक घाटों में गुरुवार की शाम छठ पूजा पर भगवान भूवन भास्कर को प्रथम अर्घ्य दिया गया। हजारों की संख्या में श्रद्धालु और उनके परिजन सहित आस्थावान लोग घाटों पर पहुंचे। इस दौरान हर ओर छठी मैया के गीत सुनायी दे रहे थे।

छठ महापर्व पर भीड़ को देखते हुए प्रशासन की तरफ से सभी घाटों पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। बड़ी संख्या में लोग दोपहर बाद से ही घाट पर पहुंचने लगे थे। श्रद्धालुओं द्वारा पूरे भक्ति भाव से भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया। अब शुक्रवार सुबह को उदयागामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

O छठ मइया के गीत गाकर श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य

छठ घाटों पर छठी मइया के गीत गूंजते रहे। दर्शन देहु हे छठी मइया.., कांच ही बांस के बहंगिया…, छोटी-मोटी चौकिया है सूरज देव, फुलवा छितराय.., तुलसी के चउरा चढ़ी बैठली छठि मईया…जैसे छठ महिमा के गीत से नगर के साथ साथ उपनगरीय और ग्रामीण अंचल में भी भक्तिभाव का माहौल बना रहा।

O उपनगरीय और ग्रामीण अंचल में भी रही धूम

पर्व के लिए विशेष रूप से सजाए गए ढेंगुरनाला, सर्वमंगला मंदिर हसदेव नदी, तुलसी नगर घाट,मुड़ापार तालाब, शिवमंदिर एसईसीएल, मानिकपुर पोखरी, बालको, दर्री, बांकीमोंगरा, गेवरा-दीपका में बड़ी संख्या में पूजक डूबते सूर्य को अर्घ्य दिए। घाटों पर आतिशबाजी कर खुशियां मनाई गई। अपूर्व आस्था, समर्पण व श्रद्धा का पावन पर्व सूर्य षष्ठी छठ महापर्व गुरुवार को मनाया गया। सर्वत्र पवित्रता, चारों ओर उल्लास, उमंग व कुछ अलग करने की बेकरारी श्रद्धालुओं में देखने को मिली। गुरुवार को पर्व का पहला अर्घ्य डूबते सूर्य को देकर श्रद्धालुओं ने नमन किया। नए परिधानों, विविध पूजन सामग्री से सजी टोकरी लिए छठी मईया के सेवक दोपहर बाद 3 बजे से घाटों पर पहुंचने लगे थे। जैसे-जैसे दिन ढलता गया वैसे-वैसे उपासकों व उनके परिजनों की भीड़ बढ़ती गई। पूजा के प्रति निष्ठा रखने वालों ने सिर पर पूजन सामग्री लिए पैदल, वाहनों पर सवार हो गाजे-बाजे के साथ पूजा स्थल पहुंचे। जहां वेदी सजाकर सूर्यदेव के डूबने का इंतजार करने लगे थे। शुक्रवार की सुबह उगते सूरज को दूसरा अर्घ्य देने के साथ पूजा पूर्ण होगी।

 

 

O मइया को चढ़ाए प्रसाद में किसी एक फल को जीवन भर नहीं खाने का संकल्प

 

छठी माता को प्रसाद के रूप में व्रतियों द्वारा विविध प्रकार के फलों को अर्पित किया जाता है। अधिकांश व्रती माता को अर्पित किए गए प्रसाद में किसी एक फल को जीवन भर नहीं खाने का भी संकल्प लेती हैं। ऐसा छठी माता के सामने अपने परिवार की समृद्धि, खुशहाली के लिए लोग करते हैं। व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने पूजन सामग्री के रूप में नारियल, धूप, अगरबत्ती व घी के दीपक का उपयोग किया, वहीं सेब, संतरा, सिंगापुरी केला, पूजा केला, केला, डाब नीबू, बेदाना, पानीफल, गन्ना, सीताफल सहित अनेक फलों के साथ भुवन भास्कर को दूध, घी, दही से भी अर्घ्य देते हुए नमन किया।

 

O अय्यप्पा मंदिर, ढेंगुरनाला व सर्वमंगला में पूजा करने जुटे उपासक

 

कोरबा| छठ पूजा के दौरान गाई जाने वाली गीतों के माध्यम से पूजक परिवार आराधना करते हैं। गीत के माध्यम से कोई पैसे व साधन की कमी के बाद भी छठ करने का संकल्प लेता है तो कोई केले व दूसरे पके फलों पर चोंच मारकर जूठा न करने की गुहार तोते से लगाते हैं। क्योंकि यही फल सूर्यदेव को चढ़ाया जाना है। सोमवार की शाम छठ पूजा के दौरान इन गीतों से लोग पूजा में जुटे रहे। छठघाट एस ईसीएल अय्यप्पा मंदिर, ढेंगुरनाला व सर्वमंगला मंदिर स्थित हसदेव नदी में पूजा करने जुटे उपासक व उनके परिवारों की मौजूदगी से मेला सा माहौल रहा।